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सेमीकंडक्टर हब बनेगा भारत? सिंगापुर के साथ बड़ी डील, चीन की बढ़ेगी टेंशन

सिंगापुर कंपनियों के पास तकनीकी है लेकिन बाजार नहीं है और साथ ही सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए पानी बिजली जमीन श्रम आदि जितनी बड़ी मात्रा में चाहिए वहां इसका अभाव है। वहां श्रम भी काफी महंगा है। इस वजह से सिंगापुर इस उद्योग में दक्षिण कोरिया और मलेशिया से पिछड़ने लगा है। भारत में प्लांट लगा कर सिंगापुर की कंपनियां चीनी व ताइवानी कंपनियों का मुकाबला कर सकती हैं।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Thu, 05 Sep 2024 08:24 PM (IST)
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भारत पहले ही सेमीकंडक्टर निर्माण में एक बड़ी शक्ति बनने की अपनी इच्छा जता चुका है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आने वाले समय में उस देश की धाक होगी जिसके पास सेमीकंडक्टर की ताकत होगी। ऐसे में गुरुवार को भारत और सिंगापुर के बीच सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में इकोसिस्टम बनाने के लिए किया गया समझौता दोनों देशों को एक बड़ी बढ़त देने की क्षमता रखता है। मोटे तौर पर यह समझौता सेमीकंडक्टर निर्माण में जुटी सिंगापुर की कंपनियों की पूंजी व प्रौद्योगिकी को भारतीय टैलेंट व इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच संपर्क पुल का काम करेगा।

पीएम नरेन्द्र मोदी और पीएम लौरेंस वोंग के समक्ष गुरुवार को इस बारे में 26 अगस्त, 2024 को आइटी व इलेक्ट्रोकनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव और सिंगापुर के व्यापार व उद्योग मंत्री गन किम योंग के बीच किये गये समझौते का आदान-प्रदान किया गया। समझौता सिंगापुर की कंपनियों को भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों में उतरने के लिए जरूरी मदद व सुविधाएं प्रदान करेगा। माना जा रहा है कि इस तरह का एक और समझौता जल्द ही भारत व ताइवान के बीच होने वाली है।

भारत पहले ही सेमीकंडक्टर निर्माण में एक बड़ी शक्ति बनने की अपनी इच्छा जता चुका है। पिछले एक वर्ष के भीतर पांच सेमीकंडक्टर प्लांट की मंजूरी दी गई है। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों, घरेलू उपकरणों आदि की बढ़ती हुई मांग को देख कर माना जाता है कि यहां चिप्स (सेमीकंडक्टर) की मांग काफी ज्यादा होगी।

सिंगापुर को मिलेगा बड़ा बाजार

दूसरी तरफ सिंगापुर कंपनियों के पास तकनीकी है लेकिन बाजार नहीं है और साथ ही सेमीकंड्क्टर निर्माण के लिए पानी, बिजली, जमीन, श्रम आदि जितनी बड़ी मात्रा में चाहिए, वहां इसका अभाव है। वहां श्रम भी काफी महंगा है। इस वजह से इस उद्योग में सिंगापुर दक्षिण कोरिया और मलेशिया से पिछड़ने लगा है। ऐसे में सिंगापुर की कंपनियां भारत में प्लांट लगा कर ना सिर्फ यहां की घरेलू मांग को पूरा कर सकती हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चीनी व ताइवानी कंपनियों का मुकाबला कर सकती हैं।

भारत को इससे फायदा यह होगा कि उन्नत प्रौद्योगिकी वाली कंपनियां यहां पर स्थापित होंगी जो दूसरी कंपनियों को भी यहां प्लांट लगाने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। भारतीय युवाओं के समक्ष रोजगार के नये अवसर खुलेंगे। समझौते के मुताबिक दोनों देशों की सरकारें एक दूसरे के लिए नीतिगत फैसला करेंगी ताकि इकोसिस्टम स्थापित करने का काम शीघ्रता से हो सके।

पीएम मोदी ने सिंगापुर में एक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग केंद्र का दौरा भी किया और वहां की कंपनियों को अगले हफ्ते नोएडा में आयोजित होने वाले सेमीकंडक्टर सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित भी किया।

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