Move to Jagran APP

भारत जल्द बनेगा तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी, शेयर मार्केट का क्या रहेगा हाल?

एसएंडपी ग्लोबल का कहना है कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत का लगभग 90 प्रतिशत व्यापार समुद्र के जरिये होता है ऐसे में बढ़ते निर्यात और थोक वस्तु आयात को प्रबंधित करने के लिए मजबूत बंदरगाह बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में घरेलू ऊर्जा की मांग बढ़ रही है।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Updated: Thu, 19 Sep 2024 07:43 PM (IST)
Hero Image
भारत का लगभग 90 प्रतिशत व्यापार समुद्र के जरिये होता है।
पीटीआई, मुंबई। एसएंडपी ग्लोबल ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में कहा कि अगर चालू वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत की अनुमानित वार्षिक वृद्धि दर को आधार मानें तो भारत 2030-31 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत की विकास दर के साथ लाजिस्टिक में सुधार, निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने और सार्वजनिक पूंजी पर निर्भरता कम करने के लिए निरंतर सुधार करने होंगे।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मजबूत विकास संभावनाओं और बेहतर विनियमन के कारण इक्विटी बाजारों के गतिशील और प्रतिस्पर्धी बने रहने की उम्मीद है। इतना ही नहीं भारत के प्रमुख उभरते बाजार सूचकांकों में शामिल होने के बाद से भारतीय सरकारी बांड में विदेशी प्रवाह बढ़ गया है, जिससे भविष्य में और वृद्धि होने की उम्मीद है।

'इंडिया फारवर्ड: इमर्जिंग पर्सपेक्टिव्स' रिपोर्ट के पहले संस्करण में कहा गया है कि भारत का लगभग 90 प्रतिशत व्यापार समुद्र के जरिये होता है, ऐसे में बढ़ते निर्यात और थोक वस्तु आयात को प्रबंधित करने के लिए मजबूत बंदरगाह बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में घरेलू ऊर्जा की मांग बढ़ रही है और वह अक्षय ऊर्जा और कम उत्सर्जन वाले ईंधन सहित टिकाऊ प्रौद्योगिकियों पर काम कर सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र बुनियादी ढांचे और उत्पादकता में सुधार के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों और नई नीतियों पर निर्भर करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सिंचाई, भंडारण और आपूर्ति वितरण जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के मुद्दों पर काम करने की जरूरत है।

यह भी पढ़ें : US Fed Rate Cut : फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में क्यों की कटौती, क्या अब टल जाएगा मंदी का खतरा?