देश में पहली बुलेट ट्रेन के चलने का इंतजार सभी को है। मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली इस ट्रेन के लिए निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस बीच रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि भारत स्वदेशी तकनीक से बुलेट ट्रेन के निर्माण की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि इससे संबंधित कुछ तकीनीकों का विकास भारत में हो भी चुका है।
पीटीआई, नई दिल्ली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया है कि भारत बुलेट ट्रेन बनाने की स्वदेशी तकनीक पर काम कर रहा है। देश की पहली बुलेट ट्रेन अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलनी है और इसकी बहुत ही जटिल तकनीक है। इस पर जापान की मदद से काम हो रहा है। इसे भारतीय जरूरतों और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित किया जा रहा है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान बताया कि शुरुआत में हमें बुलेट ट्रेन की तकनीक विदेश से मिली। लेकिन अब देश में भी कई तकनीकों का विकास हो गया है। अब भारत बुलेट ट्रेन को पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बनाने और 'आत्मनिर्भर भारत' बनने की दिशा में काम कर रहा है।
बुलेट ट्रेन की तकनीक बेहद जटिल
उन्होंने बताया कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की अधिकतम सुरक्षा और रखरखाव के प्रोटोकाल तकनीकी रूप से बहुत जटिल और गहन हैं। बुलेट ट्रेन परियोजना से संबंधित सिविल कार्य, ट्रैक, इलेक्ट्रिकल, सिग्नलिंग, टेलीकम्यूनिकेशंस व ट्रेन सेट की आपूर्ति का काम पूरा होने के बाद ही प्रोजेक्ट पूरा होने की समय-सीमा का पालन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे) सरकार आने के बाद से वहां भी कार्य की गति बहुत तेज हो गई है।
बुलेट ट्रेन के 320 किलोमीटर रूट पर तेजी से हो रहा काम
अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन 508 किमी की दूरी तय करेगी। इसमें 320 किमी की दूरी पर काम बहुत तेजी से चल रहा है। भारत की पहली 21 किमी लंबी समुद्र के नीचे बनी सुरंग का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। रेल मंत्री ने बताया कि 9784 रेलवे पुलों की मरम्मत और पुनर्निर्माण किया जाएगा। महाराष्ट्र के पुराने पुलों की पहचान की गई है और पिछले तीन सालों से इनकी मरम्मत का काम चल रहा है। महाराष्ट्र के सभी ब्रिज सुरक्षित हैं। पिछले तीन सालों में 5405 पुलों की मरम्मत और पुनर्निर्माण किया जा चुका है। रेल मंत्री ने बताया कि कर्नाटक के गुलबर्गा जिले के लिए एक रेल डिविजन बनाने की बात थी लेकिन सर्वेक्षण के बाद उस मांग को उचित नहीं पाकर इसे प्रस्तावित नहीं किया गया है।