Move to Jagran APP

केंद्र और राज्‍य सरकारों के खर्च बढ़ने से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को मिल रही मजबूती : क्रिसिल

अग्रणी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट कहती है कि केंद्र की तरफ से इकोनामी पर किया गया एक रुपये का खर्च 3.25 रुपये की उत्पादकता बढ़ाता है। वहीं राज्यों द्वारा इकोनामी पर इतना ही खर्च उनकी उत्पादकता को दो रुपये बढ़ाता है।

By Manish MishraEdited By: Updated: Fri, 03 Dec 2021 07:57 AM (IST)
Hero Image
Indian economy is getting stronger due to the increase in the expenditure of the central and state governments says CRISIL
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। इकोनामी पर कोरोना संकट के दुष्प्रभावों को बेअसर करने के लिए केंद्र ने राज्यों के साथ मिलकर पूंजीगत खर्च को वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर, 2021) में खासा बढ़ाया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर, 2021) में देश की इकोनामी के 8.4 प्रतिशत विकास दर हासिल करने में इसका अहम योगदान रहा है। पहली छमाही में केंद्र व राज्यों की तरफ से हो रहे खर्च की गति को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि दूसरी छमाही (अक्टूबर, 2021-मार्च, 2022) में इकोनामी की स्थिति और तेजी से सुधरेगी। अग्रणी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट कहती है कि केंद्र की तरफ से इकोनामी पर किया गया एक रुपये का खर्च 3.25 रुपये की उत्पादकता बढ़ाता है। वहीं, राज्यों द्वारा इकोनामी पर इतना ही खर्च उनकी उत्पादकता को दो रुपये बढ़ाता है।

रिपोर्ट में पूंजीगत व्यय को लेकर राज्यों के सुधरते रवैये की खासतौर पर तारीफ की गई है। अगर वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही की बात करें तो पिछले वर्ष समान अवधि के मुकाबले 16 राज्यों के कुल पूंजीगत व्यय में 78 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इस दौरान इन राज्यों ने पूरे वित्त वर्ष के लिए आवंटित राशि का 29 प्रतिशत व्यय किया है। हालांकि पहली नजर में यह खर्च कम लगता है। लेकिन आमतौर पर राज्यों की तरफ से कुल आवंटन का बड़ा हिस्सा अंतिम तीन महीनों में ही खर्च होता है। छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और तेलंगाना अपने कुल आवंटन का 45 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा पहली छमाही में खर्च कर चुके हैं। इन राज्यों को अब फायदा यह होगा कि ये अब अपने सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) का 0.5 प्रतिशत ज्यादा राशि बतौर कर्ज ले सकेंगे। हालांकि महाराष्ट्र, ओडिशा व झारखंड कुल आवंटन का 20 प्रतिशत भी खर्च नहीं कर सके हैं।

रिपोर्ट यह भी बताती है कि कोरोना की दूसरी लहर की चुनौतियों और विपरीत राजकोषीय स्थिति के बावजूद इन छह महीनों में केंद्र सरकार ने पूंजीगत व्यय में 31 प्रतिशत की वृद्धि की है। आम बजट में वित्त मंत्री ने पिछले वित्त वर्ष की तुलना में पूंजीगत व्यय में 26 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य के आधार पर ही चालू वित्त वर्ष के दौरान केंद्र सरकार का कुल पूंजीगत व्यय कोरोना-पूर्व की स्थिति में पहुंचने का अनुमान था।

क्रिसिल के अर्थशास्त्री डॉ. डी. के. जोशी के नेतृत्व में तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग की स्थिति बहुत बेहतर नहीं होने की वजह से अभी भी निजी क्षेत्र का निवेश उत्साहजनक नहीं है। ऐसे में केंद्र व राज्यों की तरफ से होने वाले खर्च का इकोनामी पर काफी सकारात्मक असर होगा।