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भारत की विकास दर 11 फीसद रहेगी, कोरोना की दूसरी लहर से जोखिम में पड़ सकती है इकोनॉमिक रिकवरी : ADB

Indian GDP Growth Forecast एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय इकोनॉमी की 11 फीसद विकास दर का अनुमान लगाया है। बैंक के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में यह विकास दर सात फीसद रहेगी।

By Ankit KumarEdited By: Updated: Fri, 30 Apr 2021 07:36 AM (IST)
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एडीबी ने इस वर्ष चीन की विकास दर 8.1 फीसद और अगले वर्ष 5.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय इकोनॉमी की 11 फीसद विकास दर का अनुमान लगाया है। बैंक के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में यह विकास दर सात फीसद रहेगी। एडीबी ने बुधवार को कहा कि देश में टीकाकरण अभियान जोर-शोर से चल रहा है, जिससे इकोनॉमी में सुधार को बल मिला है। हालांकि बैंक ने यह भी कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर से देश की आर्थिक रिकवरी जोखिम में पड़ सकती है। 

एशियन डेवलपमेंट आउटलुक (एडीओ), 2021 में बैंक ने कहा कि अगले वर्ष 31 मार्च को खत्म होने वाले चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर 11 फीसद रहने का अनुमान है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है। लेकिन कोरोना संक्रमण मामलों में तेज उछाल ने रिकवरी की रफ्तार को जोखिम में डाल दिया है। 

एडीबी ने इस वर्ष चीन की विकास दर 8.1 फीसद और अगले वर्ष 5.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। बैंक का कहना है कि चीन का निर्यात आंकड़ा बेहद मजबूत है और घरेलू खपत भी तेजी से बढ़ रही है, जिसका फायदा उसे मिलेगा।

एडीबी का कहना है कि दक्षिण एशिया की विकास दर इस वर्ष 9.5 फीसद रहने का अनुमान है। इस क्षेत्र की आर्थिक विकास दर में वर्ष 2020 के दौरान छह फीसद गिरावट दर्ज की गई थी। वहीं, विकासशील एशिया की विकास दर इस वर्ष 7.3 फीसद रहने का अनुमान है। स्वस्थ वैश्विक विकास दर और कोरोना टीकाकरण में तेजी का लाभ विकासशील एशिया को मिलेगा। पिछले वर्ष इस क्षेत्र की विकास दर में 0.2 फीसद की गिरावट देखी गई थी।

एडीबी के अनुसार अगले वर्ष एशिया की विकास दर 5.3 फीसद रहने का अनुमान है। विकासशील एशिया के बड़े हिस्से की आर्थिक रिकवरी अगले वर्ष अच्छी रहने वाली है। उल्लेखनीय है कि एडीबी की विकासशील एशिया की सूची में भौगोलिक आधार पर 46 देश हैं। इनमें मध्य एशिया, पूर्वी एशिया, दक्षिण व दक्षिण-पूर्वी एशिया, एशिया-प्रशांत और औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं।