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Indian Economy: नए वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में मजबूती के आसार, महंगाई को लेकर रहना होगा सचेत

वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि लाल सागर में व्यवधान से शिपिंग की लागत बढ़ गई है जिससे विश्व व्यापार की लागत में बढ़ोतरी हो रही है। लाल सागर के जरिये 12 प्रतिशत से अधिक वैश्विक व्यापार होता है। इस वजह से वैश्विक स्तर पर खाद्य सप्लाई प्रभावित हो रही रही है और वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं।

By Jagran News Edited By: Praveen Prasad Singh Updated: Fri, 22 Mar 2024 07:18 PM (IST)
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वित्त मंत्रालय के अनुसार आगामी वित्त वर्ष 2024-25 में चालू खाते के घाटे पर नजर रखने की जरूरत होगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय का मानना है कि कच्चे तेल के दाम में तेजी और वैश्विक सप्लाई चेन के प्रभावित होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था आगामी वित्त वर्ष 2024-25 में मजबूत स्थिति में रहेगी। पिछले कुछ महीनों से स्थिर महंगाई दर और रोजगार में हो रही बढ़ोतरी की मदद से चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भी भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन काफी बेहतर रहने का अनुमान है।

चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में जीडीपी की विकास दर आठ प्रतिशत से अधिक रही और अब 31 मार्च को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए कई एजेंसियों ने विकास दर 7.7 प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि लाल सागर में व्यवधान की वजह से कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं और इससे आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई प्रभावित हो सकती है।

लाल सागर का संकट बन रहा चुनौती

शुक्रवार को वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि लाल सागर में व्यवधान से शिपिंग की लागत बढ़ गई है, जिससे विश्व व्यापार की लागत में बढ़ोतरी हो रही है। लाल सागर के जरिये 12 प्रतिशत से अधिक वैश्विक व्यापार होता है। इस वजह से वैश्विक स्तर पर खाद्य सप्लाई प्रभावित हो रही रही है और वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं। हालांकि भारत में खाद्य पदार्थों की कीमत पर इसका कोई असर नहीं होगा।

आने वाले महीनों में महंगाई कम होने की उम्‍मीद

सरकार ने घरेलू स्तर पर महंगाई को नियंत्रित में रखने के लिए प्याज, चीनी, गेहूं, चावल जैसे खाद्य आइटम का आयात रोक रखा है जिससे महंगाई दर पिछले कई महीनों से छह प्रतिशत से कम के स्तर पर बनी हुई है। आरबीआइ ने महंगाई की अधिकतम सीमा छह प्रतिशत तय कर रखा है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि आने वाले महीनों में गर्मी में होने वाली बोआई से भी खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने में मदद मिलेगी।

समीक्षा में कहा गया है कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में आवासीय संपत्तियों की बढ़ती मांग निर्माण गतिविधियों में तेजी आने का एक अच्छा संकेत है। गैर कृषि रोजगार एक बार फिर से बढ़ रहे हैं और इससे खेती-किसानी छोड़ने वाले श्रमबल को दूसरी नौकरियां मिलने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ रहा है।

घरेलू बचत में बढ़ोतरी की जरूरत

वित्त मंत्रालय के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में व्यापार घाटे में होने वाली कमी और सर्विस निर्यात आयात से अधिक रहने से चालू खाते के घाटे में काफी कमी आई है। हालांकि आगामी वित्त वर्ष 2024-25 में चालू खाते के घाटे पर नजर रखने की जरूरत होगी। मंत्रालय के मुताबिक अर्थव्यवस्था में पूंजी के सृजन के लिए घरेलू बचत में बढ़ोतरी की जरूरत है ताकि निजी निवेश बढ़ सके। गत वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू बचत 5.1 प्रतिशत के साथ पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच गई जबकि वित्त वर्ष वित्त वर्ष 2020-21 में घरेलू बचत की दर 11.5 प्रतिशत थी।

आरबीआई के बोर्ड ने घरेलू आर्थिक स्थिति की समीक्षा की

आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने शुक्रवार को वैश्विक वित्तीय बाजार की अस्थिरता से उत्पन्न चुनौतियों सहित घरेलू आर्थिक स्थिति और दृष्टिकोण की समीक्षा की। केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि बोर्ड ने लेखा वर्ष 2024-25 के लिए बैंक के बजट को भी मंजूरी दी। आरबीआई के निदेशक मंडल की 607वीं बैठक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में नागपुर में हुई। बैठक में केंद्रीय बोर्ड के निदेशक सतीश के मराठे, रेवती अय्यर, सचिन चतुर्वेदी, वेणु श्रीनिवासन और रवींद्र एच ढोलकिया शामिल हुए। बैठक में डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा, एम राजेश्वर राव, टी रबी शंकर और स्वामीनाथन जे भी मौजूद थे। आरबीआई ने कहा कि आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ और वित्तीय सेवा विभाग के सचिव विवेक जोशी ने भी बैठक में हिस्सा लिया।