अगले दो सालों में 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी भारतीय आर्थिकी: ओईसीडी
अगले दो वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर के लगभग 6.6 प्रतिशत रहने का भी पूर्वानुमान लगाया गया है। हालांकि वैश्विक एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि वैश्विक व्यवधान आर्थिक प्रगति पर असर डाल सकते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र से निकल रही मांग का लाभ मिलेगा लेकिन निजी खपत में वृद्धि सुस्त रहेगी। वहीं GDP में धीरे-धीरे गिरावट आएगी लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति पर अनिश्चितता बनी हुई।
एएनआई,नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिकी के 7.8 प्रतिशत से बढ़ने का अनुमान है। ओईसीडी के लेटेस्ट आर्थिक आउटलुक के अनुसार, अगले दो वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर के लगभग 6.6 प्रतिशत रहने का भी पूर्वानुमान लगाया गया है। हालांकि वैश्विक एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि वैश्विक व्यवधान आर्थिक प्रगति पर असर डाल सकते हैं।
पेरिस स्थित अनुसंधान संगठन आर्गनाइजेशन फार इकोनमिक को-आपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र से निकल रही मांग का लाभ मिलेगा, लेकिन निजी खपत में वृद्धि सुस्त रहेगी। ओईसीडी 37 सदस्य देशों का एक समूह है जो आर्थिक और सामाजिक नीति पर चर्चा करता है।
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वैश्विक बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि
ओईसीडी ने जोर देकर कहा कि निर्यात बढ़ता रहेगा, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी और परामर्श जैसी सेवाओं में, जहां भारत विदेशी निवेश द्वारा समर्थित अपने वैश्विक बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि जारी रखेगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सकल मुद्रास्फीति में धीरे-धीरे गिरावट आएगी, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति के बारे में अनिश्चितता बनी हुई है।
भारत में मार्च में खुदरा महंगाई 4.9 प्रतिशत थी। भारत में खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के दो से छह प्रतिशत के स्तर के अंदर है, लेकिन आदर्श चार प्रतिशत से अभी ऊपर बनी हुई है। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं सहित कई देशों के लिए मुद्रास्फीति एक चिंता का विषय रही है, लेकिन भारत काफी हद तक अपनी मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में कामयाब रहा है। ओईसीडी ने यह भी कहा है कि अगर मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहती है तो वर्ष की दूसरी छमाही में मौद्रिक नीति में ढील देने की शुरुआत हो सकती है।