भारतीय परिवारों का शेयर बाजार पर भरोसा अभी भी कम, प्रॉपर्टी-गोल्ड में ज्यादा लगाते हैं पैसा
भारतीय परिवार अभी भी इक्विटी बाजारों की तुलना में पारंपरिक निवेश विकल्पों में निवेश करना पसंद करते हैं। भारतीय परिवारों के लिए रियल एस्टेट प्रमुख असेट क्लास बनी हुई है जो उनकी कुल संपत्ति में 51.3 प्रतिशत का महत्वपूर्ण योगदान देती है। 15.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सोना दूसरे स्थान पर है और इसके बाद बैंक जमा का नंबर आता है जो घरेलू परिसंपत्तियों का 13.3 प्रतिशत है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों के दौरान भारतीय परिवारों की संपत्ति में विविधता आई है। लेकिन, इक्विटी का हिस्सा अभी भी बहुत कम है। जेफरीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, औसत भारतीय परिवारों के स्वामित्व वाली कुल संपत्ति में इक्विटी का हिस्सा केवल 5.8 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय परिवार अभी भी इक्विटी बाजारों की तुलना में पारंपरिक निवेश विकल्पों में निवेश करना पसंद करते हैं। भारतीय परिवारों के लिए रियल एस्टेट प्रमुख असेट क्लास बनी हुई है, जो उनकी कुल संपत्ति में 51.3 प्रतिशत का महत्वपूर्ण योगदान देती है।
15.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सोना दूसरे स्थान पर है और इसके बाद बैंक जमा का नंबर आता है, जो घरेलू परिसंपत्तियों का 13.3 प्रतिशत है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भविष्य निधि (पीएफ) और पेंशन योजनाएं 5.7 प्रतिशत और नकद होल्डिंग तीन प्रतिशत हैं।
एसआईपी के जरिए बढ़ रहा निवेश
यह बात ठीक है कि इक्विटी में अपेक्षाकृत कम निवेश है, लेकिन सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये शेयर बाजार में खुदरा निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ये योजनाएं व्यक्तियों को अपनी मासिक आय का एक निश्चित हिस्सा इक्विटी-लिंक्ड योजनाओं में निवेश करने की अनुमति देती हैं, जिससे अनुशासित और स्थिर निवेश को बढ़ावा मिलता है।अक्टूबर, 2024 में भारतीय शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद एसआईपी प्रवाह 25,302 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया। यह सितंबर की तुलना में 3.3 प्रतिशत ज्यादा है और अक्टूबर, 2023 के मुकाबले 49.6 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है। एसआईपी योगदान में स्थिर वृद्धि यह दर्शाती है कि खुदरा निवेशक अनिश्चित बाजार परिस्थितियों में भी इक्विटी निवेश के प्रति प्रतिबद्ध हैं।