भारतीय वित्तीय प्रणाली पहले की तुलना में अधिक मजबूत: एम राजेश्वर राव
एम राजेश्वर राव ने अपने भाषण में कहा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली विभिन्न क्षेत्रों से मजबूत चुनौतियों का सामना कर रही है जिसमें उच्च स्तर का सार्वजनिक ऋण परिसंपत्तियों का बढ़ा हुआ मूल्यांकन आर्थिक और वित्तीय विखंडन भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ते साइबर खतरों से उत्पन्न जोखिम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु संबंधी घटनाएं उधार लेने वालों की ऋण गुणवत्ता और ऋण-चुकौती क्षमताओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। RBI के डिप्टी गवर्नर M Rajeshwar Rao ने कहा है कि भारतीय वित्तीय प्रणाली पहले की तुलना में अधिक मजबूत दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मौजूद चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की एक अलग पहचान है। वह जेपी मार्गन इंडिया लीडरशिप सीरीज में बोल रहे थे।
चुनौतियों का सामना कर रही है वित्तीय प्रणाली
उन्होंने अपने भाषण में कहा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली विभिन्न क्षेत्रों से मजबूत चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें उच्च स्तर का सार्वजनिक ऋण, परिसंपत्तियों का बढ़ा हुआ मूल्यांकन, आर्थिक और वित्तीय विखंडन, भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ते साइबर खतरों से उत्पन्न जोखिम शामिल हैं। इन वैश्विक चुनौतियों के बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी बातों को दर्शाती है। आर्थिक गतिविधि लगातार बढ़ रही है, जिसे वित्तीय प्रणाली का समर्थन प्राप्त है, जो पहले की तुलना में अधिक मजबूत दिखाई देती है।
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भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में हुए ये सुधार
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र ने विशेष रूप से, पूंजी पर्याप्तता, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता जैसे प्रमुख मापदंडों में महत्वपूर्ण सुधार किया है। ऋण विस्तार में निरंतर वृद्धि हुई है। वित्तीय प्रणाली के मजबूत प्रदर्शन और स्वस्थ वित्तीय प्रदर्शन के बावजूद एक नियामक और पर्यवेक्षक के तौर पर हमें जोखिमों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है।
जलवायु जोखिम पर उन्होंने कहा कि जलवायु संबंधी घटनाएं उधार लेने वालों की ऋण गुणवत्ता और ऋण-चुकौती क्षमताओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। वे संस्थागत वित्त से बनाई गई परिसंपत्तियों को खत्म कर सकते हैं, जिससे वित्तीय संस्थानों की सेहत पर असर पड़ता है।