कोरोना से डगमगा रहा है उद्योग जगत का विश्वास, 2008-09 के बाद के निचले स्तर परः FICCI Survey
फिक्की ने कहा है कि ओवरऑल बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स हालिया सर्वेक्षण में 42.9 पर रहा जो इससे पहले के सर्वेक्षण में 59 पर था।
By Ankit KumarEdited By: Updated: Tue, 21 Apr 2020 07:24 AM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोनावायरस की वजह से देश के कारोबारियों का विश्वास इस समय 2008-09 के वित्तीय संकट के बाद से सबसे कमजोर नजर आ रहा है। उद्योग मंडल फिक्की की ओर से कराए गए एक हालिया सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। फिक्की के बिजनेस कॉन्फिडेंस सर्वे के मुताबिक सरकार की ओर से सही समय पर कदम उठाए जाने से घरेलू अर्थव्यवस्था में सामान्य स्थिति को जल्द-से-जल्द बहाल करने में मदद मिलेगी। इस सर्वेक्षण में देश के कारोबारियों ने रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में और एक फीसद की कटौती की मांग की है।
कोरोनावायरस महामारी के फैलने की वजह से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य लगातार कमजोर पड़े हैं। भारत सहित कई देशों ने सोशल डिस्टेंसिंग से जुड़े नियमों को अपनाया है और इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया है। लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप पड़ गई हैं। फिक्की ने कहा, ''ओवरऑल बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स हालिया सर्वेक्षण में 42.9 पर रहा, जो इससे पहले के सर्वेक्षण में 59 पर था।''
संगठन ने कहा है कि वैश्विक आर्थिक संकट के समय वित्त वर्ष 2008-09 के दूसरी तिमाही में यह सूचकांक 37.8 पर था। उद्योग मंडल ने कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों और आने वाले समय को लेकर अनिश्चितता के चलते सूचकांक नीचे आया है। फिक्की ने पूरी इंडस्ट्री (खासकर सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों) के लिए रियायत, नीतिगत समर्थन, टैक्स होलीडेज के रूप में वित्तीय पैकेज की हिमायत की है। उसने कहा है, ''बैंकों में निर्णय करने वालों की विश्वास बहाली के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। इसी के साथ कर्ज देने की पूरी प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है।''
संगठन ने कहा है कि लेबर मार्केट से जुड़े नियमों में तत्काल सुधार किए जाने की जरूरत है और प्राथमिकता के आधार पर ऐसा किया जाना चाहिए।