Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Manufacturing Growth : पांच महीने के उच्च स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ, जानें कैसे बढ़ी डिमांड?

    By Agency Edited By: Suneel Kumar
    Updated: Fri, 01 Mar 2024 02:01 PM (IST)

    इकोनॉमिक सेक्टर से काफी शानदार आंकड़े आए हैं। देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ में तगड़ा उछाल देखने को मिला है। घरेलू मांग जबरदस्त रही। साथ ही विदेशी बाजारों से भी ऑर्डर भी दो साल के उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। हालांकि इतनी अच्छी ग्रोथ के बावजूद सेक्टर से रोजगार के मोर्चे पर कोई खास अच्छी खबर नहीं आई ।

    Hero Image
    परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) 56.5 से बढ़कर जनवरी में 56.9 पर पहुंच गया।

    पीटीआई, नई दिल्ली। देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ में तगड़ा उछाल देखने को मिला है। यह फरवरी में पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। एक प्राइवेट मंथली सर्वे में शुक्रवार को बताया गया कि यह उछाल फैक्टरी प्रोडक्शन और सेल्स में जबरदस्त तेजी की वजह से आया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    HSBC India मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) 56.5 से बढ़कर जनवरी में 56.9 पर पहुंच गया। इससे पता चलता है कि यह सितंबर 2023 के बाद सेक्टर के प्रदर्शन में सबसे बेहतरीन सुधार है। परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) की भाषा में, 50 से ऊपर बढ़ोतरी और इससे नीचे स्कोर कमजोर प्रदर्शन को दर्शाता है।

    इस सर्वे के मुताबिक, सितंबर 2023 के बाद के पांच महीने में प्रोडक्शन तेज रफ्तार से बढ़ा है। इस दौरान बिक्री भी लगातार बढ़ी, जिससे प्रोडक्शन को सहारा मिला। निर्यात के लिए मिलने ऑर्डर मजबूत ग्रोथ दिखी।

    HSBC के इकोनॉमिस्ट Ines Lam ने कहा, 'हमारे इंडेक्स से जाहिर हो रहा है कि घरेलू और बाहरी बाजारों में डिमांड तेज रहेगी। इसके चलते प्रोडक्शन ग्रोथ आगे भी मजबूत बनी रहेगी।'

    ग्रोथ मोमेंटम में तेजी के बावजूद देश के मैन्युफैक्चरिंग एम्पॉलयमेंट में मामूली फेरबदल ही हुआ। सामान बनाने वाली कंपनियों ने बताया कि जितने लोग उनके पास हैं, वे मौजूदा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं।

    अगर मुद्रास्फीति (inflation) के मोर्चे पर देखें, तो परचेजिंग कॉस्ट इंफ्लेशन 43 महीने के निचले स्तर पर आ गई। इसकी वजह से सेलिंग चार्ज कुछ हद तक बढ़ गया। वहीं, इनपुट लागत में साढ़े तीन साल में सबसे धीमी वृद्धि देखी गई। हालांकि मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के मार्जिन में सुधार हुआ क्योंकि इनपुट प्राइस इंफ्लेशन जुलाई 2020 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गई।

    अगर डिमांड की बात करें, तो घरेलू मांग जबरदस्त रही। साथ ही ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोप, इंडोनेशिया, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात में एक्सपोर्ट निर्यात ऑर्डर करीब दो वर्षों में सबसे तेज दर से बढ़े। इससे डिमांड और कंजम्पशन का रेशियो भी बेहतर हुआ।

    HSBC के इकोनॉमिस्ट Ines Lam ने कहा, 'कंपनियां मजबूत डिमांड और प्रॉफिट में सुधार से काफी उत्साहित हैं। उनका मानना है कि भविष्य में चीजें कारोबार के लिहाज से बेहतर रहेंगी।'

    यह भी पढ़ें : Indian Economy : तमाम अड़चनों के बाद भी कैसे बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था, रिजर्व बैंक ने बताया

     

    comedy show banner
    comedy show banner