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कच्‍चे तेल के लिए भारत ने पहली बार ईरान को किया यूरो में भुगतान

भारतीय तेल कंपनियों ने पीएम मोदी की ईरान यात्रा से ठीक पहले कच्‍चे तेल के लिए पहली बार यूरो में भुगतान किया है। हालांकि अब भी 6.4 अरब डॉलर का भुगतान बकाया है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 21 May 2016 10:43 PM (IST)
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तेहरान, (प्रेट्र)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली ईरान यात्रा से ठीक पहले भारतीय तेल कंपनियों ने पिछले चार साल में पहली बार यूरो में भुगतान किया है। इन कंपनियों पर कच्चा तेल सप्लाई का 6.4 अरब डॉलर का भुगतान बकाया है।

इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि पिछले दो दिनों में मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लि. (एमआरपीएल) ने 50 करोड़ डॉलर और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसी) ने 25 करोड़ डॉलर का भुगतान किया है। प्राइवेट क्षेत्र की एस्सार ऑयल पर 50 करोड़ डॉलर का भुगतान बकाया है।

भारतीय तेल कंपनियों ने यूनियन बैंक के जरिये भुगतान किया है। बैंक ने टर्की के हल्क बैंक के जरिये नेशनल इरानियन ऑयल कंपनी (एनआइओसी) को भुगतान ट्रांसफर कर दिया। यह भुगतान तेल कंपनियों द्वारा ईरान से खरीदे गए कच्चे तेल का बकाया है। इन कंपनियों ने अमेरिकी डॉलर खरीदकर यूनियन बैंक में जमा कराए। इसके बाद यूरो में भुगतान ट्रांसफर कर दिया गया।

इस साल जनवरी में ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध हटने के बाद पहली बार भारतीय तेल कंपनियों ने विदेशी मुद्रा में भुगतान किया है। कंपनियों द्वारा प्रधानमंत्री की रविवार को शुरू होने वाली दो दिवसीय ईरान यात्रा से ठीक पहले किया गया है। यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच भरोसेमंद बैंकिंग चैनल स्थापित करने के मसले पर प्रमुखता से बातचीत हो सकती है।

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ईरान के बैंकिंग चैनलों पर प्रतिबंध लगने के कारण फरवरी 2013 से भारतीय तेल कंपनियों ने तेल खरीद का आधा भुगतान रुपये में किया। बकाया भुगतान चैनल खुलने के इंतजार में नहीं किया गया। इस तरह कंपनियों पर 6.4 अरब डॉलर का भुगतान बकाया हो गया। एमआरपीएल पर 2.6 अरब डॉलर का भुगतान बकाया है। इसमें से उसने 50 करोड़ डॉलर का भुगतान किया। 25 करोड़ डॉलर का ताजा भुगतान करने के बाद अब आइओसी पर 31 करोड़ डॉलर का भुगतान बकाया है। एस्सार ऑयल पर 2.6 अरब डॉलर और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लि. पर छह करोड़ डॉलर का भुगतान बकाया है।

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इससे तेल कंपनियों ने 70 अरब डॉलर का भुगतान पिछले अक्टूबर में किया था जब अमेरिका ने डॉलर में बकाया भुगतान करने के लिए थोड़े समय की अनुमति दी थी। उस समय एस्सार ऑयल ने 33.8 करोड़ डॉलर का भुगतान किया। जबकि एमआरपीएल ने 29.9 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था। आइओसी ने छह करोड़ और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) ने 30 लाख डॉलर का भुगतान किया था।

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