निर्यात के लिए Vande Bharat को लगातार किया जा रहा अपडेट, इन 6 देशों ने दिखाई रुचि
रेलवे की योजना घरेलू जरूरतों के अनुरूप देश में 475 वंदे भारत ट्रेनें चलाने के बाद निर्यात करने की है। कुछ देशों ने इसमें रूचि दिखाई है। यूरोप दक्षिण अमेरिका व एशियाई देशों में निर्यात की योजना पर काम किया जा रहा है। वंदे भारत के पहले संस्करण की ट्रेन 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली-वाराणसी मार्ग पर चलाई गई थी। (जागरण फाइल फोटो)
By Jagran NewsEdited By: Priyanka KumariUpdated: Sun, 01 Oct 2023 07:17 PM (IST)
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। मेक इन इंडिया के संकल्प को विस्तार देते हुए वंदे भारत ट्रेनों को निर्यात के लिए अपडेट किया जा रहा है। गति एवं सुविधाएं बढ़ाकर इसे विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है। रेलवे की योजना घरेलू जरूरतों के अनुरूप देश में 475 वंदे भारत ट्रेन चलाने के बाद निर्यात करने की है। कुछ देशों ने इसमें रुचि दिखाई है।
देश में अभी वंदे भारत ट्रेनों की संख्या 34 हो गई है।रेलवे अगले तीन वर्षों में वंदे भारत ट्रेनों को यूरोप, दक्षिण अमेरिका एवं पूर्वी एशियाई देशों में निर्यात की योजना पर काम कर रहा है। इसलिए इसे विश्वस्तरीय बनाने का प्रयास लगातार जारी है। देश में अभी इसे ब्रॉड गेज ट्रैक पर चलाया जा रहा है। रेलवे कंपनियों का प्रयास है कि संभावित निर्यात वाले देशों के मानक वाले गेज पर इसे चलाने के लायक बनाया जाए।
कब शुरू हुई थी वंदे भारत
वंदे भारत के पहले संस्करण की ट्रेन 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली-वाराणसी मार्ग पर चलाई गई थी। तबसे अब तक जितनी ट्रेनें चलाई गई हैं, उनके फीचर को अपडेट करते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप किया जा रहा है। पहली ट्रेन की तुलना में 34वीं ट्रेन में कई तरह की सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। रफ्तार भी प्रति घंटा 140 किमी से बढ़ाकर 180 किमी तक कर दी गई है। अब इसे बढ़ाकर 220 किमी प्रति घंटा तक करने की तैयारी है।
ट्रेन के राइडर संकेतक को तीन कर दिया गया है। इससे चलती ट्रेन में झटके कम लगेंगे। आवाज का मानक भी 65 डेसिबल तक ले आया गया है जो विमान की ध्वनि से लगभग सौ गुना कम है। सौ प्रतिशत स्वदेशी तकनीक से निर्मित यह देश की पहली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन है, जिसमें सुरक्षा के लिए कवच प्रणाली भी लगाई गई है। यात्रियों की प्रतिक्रिया लेकर नई ट्रेनों में नई-नई सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं, जो यात्रा को अधिक सुगम बना सकेंगी।
सीटों को अत्यधिक लचीला बनाया जा रहा है। वाश बेसिन को गहरा किया जा रहा है, ताकि बोगियों में पानी न फैले। निर्यात के पहले विश्वस्तरीय बनाने के लिए जापान एवं जर्मनी समेत अन्य देशों की हाई स्पीड ट्रेनों का भी अध्ययन किया जा रहा है। वंदे भारत की वर्तमान ट्रेनों में बैठकर यात्रा की जा रही है। अब करीब दो सौ स्लीपर संस्करण की ट्रेनों की भी तैयारी की जा रही है। इसे दो वर्षों के अंदर पूरा कर लेना है।
रेलवे का कहना है कि 2025-26 तक 475 वंदे भारत ट्रेन चला लेने के बाद निर्यात की तैयारी है। इसलिए घरेलू मांग और निर्यात पर साथ-साथ काम किया जा रहा है।