Indian Railways History: भारतीय रेल को कितना जानते हैं आप? भाप इंजन से लेकर सेमी हाईस्पीड ट्रेन तक कुछ ऐसा रहा सफर
वर्तमान में रोजाना 2 करोड़ से ज्यादा यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाली भारतीय रेल का कोई सानी नहीं है। दुर्गम पहाड़ी इलाकों और द्वीपों को छोड़कर देश का शायद ही कोई कोना होगा जो रेल से नहीं जुड़ा होगा। मुंबई जैसे महानगर का तो काम ही इसके बगैर नहीं चल सकता। रेल नेटवर्क के मामले में भारत का स्थान दुनिया में चौथा है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रेल यात्रा तो हम में से ज्यादातर लोगों ने की होगी, लेकिन क्या भारतीय रेल (Indian Railways) की यात्रा के बारे में जानते हैं आप? अगर हमारे इस सवाल से आपको कन्फ्यूजन हो रही हो तो हम अभी आपकी शंका दूर कर देते हैं। यहां बात हो रही है भारतीय रेलवे की कहानी की, जो आज से करीब 160 साल पहले शुरू हुई और आज उसके बगैर भारत की कल्पना नहीं की जा सकती।
शायद ही किसी ने सोचा होगा कि जिस रेलवे का निर्माण अंग्रेजों ने माल ढुलाई के लिए किया था, वो भारत में सफर करने के लिए एक जीवनरेखा बन जाएगी। वर्तमान में रोजाना 2 करोड़ से ज्यादा यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाली भारतीय रेल का कोई सानी नहीं है। दुर्गम पहाड़ी इलाकों और द्वीपों को छोड़कर देश का शायद ही कोई कोना होगा, जो रेल से नहीं जुड़ा होगा। मुंबई जैसे महानगर का तो काम ही इसके बगैर नहीं चल सकता।
रेल नेटवर्क के मामले में भारत का स्थान दुनिया में चौथा है। पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर क्रमश: अमेरिका, चीन और रूस आते हैं। माल और यात्रियों को एक से दूसरी जगह पहुंचाने के अलावा देश में रोजगार देने वाला सबसे बड़ा उपक्रम भी रेलवे ही है, जहां लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। आइए जानते हैं देश की इस जीवनरेखा के बारे में विस्तार से...
इतिहास के पन्नों से
भारत में रेलवे की शुरुआत का इतिहास करीब 200 साल पुराना है। शुरुआत में अंग्रेजों ने भारत में माल ढुलाई और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए रेल लाइन बिछाने की सोची। साल 1832 में पहला प्रस्ताव तैयार हुआ और 1835 में पहली रेल लाइन का निर्माण किया गया। साल 1837 में में मद्रास में पहली रेल लाइन चालू हुई, जिसपर इंग्लैंड से लाए गए भाप इंजन की मदद से पहली मालगाड़ी का परिचालन किया गया था, वो भी ग्रेनाइट की ढुलाई के लिए। हालांकि, पहली यात्री गाड़ी ने 16 अप्रैल, 1853 को बॉम्बे (अब मुंबई) और ठाणे के बीच 34 किलोमीटर का सफर तय किया था। यह भारत में परिवहन के एक नए युग की शुरुआत थी। अपने शुरुआती वर्षों के बाद से, भारतीय रेलवे ने कई चरणों में अभूतपूर्व विकास देखा है और राष्ट्रीय एकता, समृद्धि, सामाजिक आर्थिक बदलाव में सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक बन गया है।आजादी से पहले भारतीय रेल
1853 में पहली यात्री ट्रेन चलने के बाद, भारतीय रेलवे का विस्तार तो हुआ, लेकिन तब रेलवे का परिचालन किसी एक संस्था के पास नहीं होता था। उस कालखंड में रेलवे का स्वामित्व देश के विभिन्न रियासतों, रेलवे कंपनियों, और ब्रिटिश सरकार के हाथों में था। तब रेल लाइनों का निर्माण मुख्य रूप से बंदरगाहों से कृषि और खनिज संसाधनों के परिवहन और सैनिकों की तीव्र आवाजाही को ध्यान में रखकर किया गया था। पूर्वी भारत की पहली यात्री ट्रेन 15 अगस्त 1854 को पश्चिम बंगाल में हावड़ा से हुगली के बीच चली थी।आजादी के बाद का सफर
15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद देश में लंबी दूरी की यात्रा के लिए रेलवे ही एकमात्र साधन था। सरकार ने आजादी के बाद 42 से अधिक अलग-अलग रेल सिस्टम्स का विलय कर एकीकृत भारतीय रेलवे का निर्माण किया। यह राष्ट्रीय स्तर पर संपर्क स्थापित करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती दशकों में, सरकार ने रेलवे नेटवर्क के पुनर्वास और आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया, जो विभाजन की वजह से अस्त-व्यस्त हो गए थे। तकनीक के विकास के साथ ही भारत में भी धीरे-धीरे भाप के इंजन सेवा से बाहर होते गए और उनकी जगह डीजल और बिजली से चलने वाले इंजनों ने ले ली।1980 और 1990 के दशक में विस्तार को मिली रफ्तार
भारत में रेलवे के विस्तार आधुनिकीकरण के लिए 1980 और 1990 के दशक सबसे महत्वपूर्ण रहे। इसी दशक में यात्रियों की सुविधा के लिए न केवल सुपरफास्ट ट्रेंनें शुरू की गईं, बल्कि कंप्यूटरीकृत आरक्षण प्रणाली की भी शुरुआत की गई। 1988 में जहां नई दिल्ली से झांसी के बीच देश की पहली शताब्दी एक्सप्रेस (Shatabdi Express) की शुरुआत हुई, वहीं 1995 में वातानुकूलित तृतीय श्रेणी (AC Three-Tier) और स्लीपर क्लास के कोच पहली बार पेश किए गए। 1996 में दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में सेंट्रलाइज्ड कंप्यूटर रिजर्वेशन सिस्टम की शुरुआत की गई। इसके साथ ही कोंकण रेलवे, दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं ने रेलवे के बुनियादी ढांचे को उन्नत किया। और अब तो मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (Mumbai-Ahmedabad Bullet Train) कॉरिडोर जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं ने गति पकड़ी है, जो भारत में बुलेट ट्रेनों की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त करेगी। इसके साथ ही कश्मीर घाटी तक ट्रेन से पहुंचने का सपना भी जल्द ही साकार होने जा रहा है।सरोकारों से जुड़ी भारतीय रेल
- भारतीय रेलवे केवल एक यात्रा का साधन ही नहीं है, बल्कि देश की जीवनरेखा है। यात्रियों और माल ढुलाई के अलावा, इसने राष्ट्रीय एकता, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और सामाजिक समावेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- भारतीय रेलवे राष्ट्रीय एकता का एक शक्तिशाली प्रतीक रही है। लाखों लोग पूरे साल व्यापार, शिक्षा, धार्मिक तीर्थयात्रा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए इसे चुनते हैं। रेल की इस यात्रा में देश की विविधता की झलक मिलती है।
- भारतीय रेलवे का भारत के आर्थिक विकास में भी महत्पूर्ण योगदान रहा है। कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट, खाद्यान्न और अन्य वस्तुओं की आवाजाही के लिए यह रीढ़ की हड्डी है। उद्योग और कृषि क्षेत्र इसकी सेवाओं पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं।
- रेलवे दूर-दराज के गांवों और कस्बों को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ती है। यह पैसे वालों के साथ ही गरीबों के लिए भी यात्रा का सबसे सुगम माध्यम है।
- भारतीय रेलवे भारत का सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता भी है। प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से लाखों लोगों का जीवनयापन इससे जुड़ा है।
तकनीक के क्षेत्र में भी रेलवे ने हासिल किए कई मुकाम
अपनी शुरुआत से अब तक रेलवे ने तकनीक के क्षेत्र में जितनी तरक्की की है, उसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। भाप के इंजन से शुरू हुआ सफर आज वंदे भारत और गतिमान एक्सप्रेस (Gatimaan Express) जैसी सेमी हाईस्पीड ट्रेनों (Vande Bharat Express) तक पहुंच गया है । और जल्द ही भारत की पहली बुलेट ट्रेन भी पटरियों पर दौड़ती दिखेगी। तकनीक के विकास के साथ ही भाप के इंजनों की जगह पहले डीजल इंजनों ने ली और फिर बिजली से चलने वाले इंजन सेवा में आ गए। इससे न केवल ट्रेनों की रफ्तार बढ़ी, बल्कि प्रदूषण कम करने में भी काफी मदद मिली। कंप्यूटरीकृत आरक्षण और टिकटिंग ने भी रेलवे की तकनीकी यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान दिया और रेल टिकटिंग की पूरी प्रक्रिया को बदल कर रख दिया। यात्री अब अपनी लंबी दूरी की यात्राओं की योजना पहले से बना सकते हैं। रेलवे वेबसाइट और अन्य वेबसाइटों से ऑनलाइन टिकट बुकिंग (IRCTC) ने सेवाओं को अधिक सुलभ बना दिया है।यात्री सुविधाओं की बात करें तो उसमें भी धीरे-धीरे ही सही, लेकिन महत्वपूर्ण सुधार हुए। बेहतर कोच, आधुनिक ट्रेनें, बेहतर स्टेशन सुविधाएं, खाने- पीने की व्यवस्था, और यात्रियों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए किए गए कई बदलाव इनमें शामिल हैं। सुरक्षा को लेकर भी रेलवे ने कई कदम उठाए और आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया। भारतीय रेलवे ने अपनी सिग्नलिंग प्रणालियों को अपग्रेड किया है, जिससे दुर्घटनाओं को कम करने और यात्री सुरक्षा को बढ़ाने में काफी मदद मिली।भविष्य के लिए संभावित चुनौतियां
- आने वाले वर्षों में रेलवे नेटवर्क के विस्तार, भीड़भाड़ से निपटने और यात्री तथा माल की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होगी।
- क्षमता बढ़ाने और ट्रेन की गति बढ़ाने के लिए नेटवर्क और तकनीक को अपग्रेड करना जरूरी होगा। इससे यात्रा का समय कम होगा, जो अंतत: रेलवे के लिए फायदेमंद होगा।
- यात्रियों की सुरक्षा को पहली प्राथमिकता मानते हुए और ज्यादा कदम उठाए जाने की जरूरत है, ताकि दुर्घटनाओं को शून्य किया जा सके।
- भारतीय रेलवे को आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाने के लिए, माल ढुलाई टैरिफों को तर्कसंगत बनाने के साथ-साथ यात्री किराए में उचित संशोधन करने की भी आवश्यकता है।