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इंडियन रीट्स एसोसिएशन ने हिंडनबर्ग के दावों को बताया निराधार, वित्त मंत्रालय ने क्या कहा?

इंडियन रीट्स एसोसिएशन ने साथ ही कठोर नियामकीय वातावरण तैयार करने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी की तारीफ की। एसोसिएशन ने कहा कि इन उपायों को पारदर्शिता बढ़ाने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए तैयार किया गया है। उधर वित्त मंत्रालय ने कहा कि हिंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी और उसकी चेयरपर्सन अपना स्पष्टीकरण दे चुकी हैं और सरकार को इस संबंध और कुछ नहीं कहना है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 12 Aug 2024 06:58 PM (IST)
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हिंडनबर्ग ने सेबी पर कई आरोप लगाएं हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। इंडियन रीट्स एसोसिएशन ने सोमवार को कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च का यह दावा निराधार और भ्रामक है कि सेबी का रीट्स (रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) ढांचा कुछ चुनिंदा लोगों के हितों को पूरा करता है।

एसोसिएशन ने साथ ही कठोर नियामकीय वातावरण तैयार करने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी की तारीफ की, जिसमें अनिवार्य स्वतंत्र मूल्यांकन और सख्त संचालन मानक शामिल हैं। एसोसिएशन ने कहा कि इन उपायों को पारदर्शिता बढ़ाने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए तैयार किया गया है।

यह बयान शनिवार को हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सेबी रीट्स विनियम 2014 में हाल ही में किए गए संशोधन एक विशिष्ट बहुराष्ट्रीय वित्तीय समूह को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए थे। उधर, वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि हिंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी और उसकी चेयरपर्सन अपना स्पष्टीकरण दे चुकी हैं और सरकार को इस संबंध और कुछ नहीं कहना है।

सेबी चीफ ग्राहकों की जानकारी साझा करें : हिंडनबर्ग

हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया कि मार्केट रेगुलेटर सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने अब सार्वजनिक रूप से बरमूडा/मारीशस फंड संरचना में अपने निवेश की पुष्टि की है। अब उन्हें अपने सभी परामर्श ग्राहकों के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए, जिनके साथ उनकी सिंगापुर और भारतीय परामर्श कंपनियों ने काम किया है।

हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी नई रिपोर्ट में कहा था कि सेबी की चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मारीशस में विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि ये वही कोष हैं, जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने तथा समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।

आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने रविवार को एक बयान में कहा कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति तथा मार्च 2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले था। ये निवेश 'सिंगापुर में रहने के दौरान निजी तौर पर आम नागरिक की हैसियत से' किए गए थे। सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष 'निष्क्रिय' हो गए।

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