Indian Rupee Exchange Rate: डॉलर और यूरो को बराबर की टक्कर दे रहा है रुपया, लेकिन ये चीजें बिगाड़ सकती हैं खेल
दुनिया भर में डॉलर को सबसे मजबूत और सुरक्षित मुद्रा माना जाता है और बाकी के देश की करेंसी की तुलना डॉलर से होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा की भारतीय करेंसी रुपया की वैल्यू डॉलर के मुकाबले किन कारणों से प्रभावित होती है।
By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Wed, 17 May 2023 08:00 PM (IST)
नई दिल्ली,बिजनेस डेस्क: अकसर आपने रुपये के वैल्यू की तुलना अमेरिका डॉलर से करते हुए देखा होगा और सुना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नियमित रूप से रुपये बनाम डॉलर, यूके पाउंड, यूरो, स्विस फ्रैंक, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर और जापानी येन की विनिमय दर प्रकाशित करता है।
दुनिया भर में डॉलर को ही बेंचमार्क सेट किया गया है और डॉलर से ही वैश्विक लेनदेन होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा की हमारी भारतीय करेंसी की वैल्यू डॉलर के मुकाबले कम और ज्यादा क्यों होती है। आज हम आपको इन्हीं सवालों का जवाब देंगें।
फेड रेट
भारत में जैसे रिजर्व बैंक आरबीआई है वैसे ही अमेरिका में फेडरल बैंक है और इसी बैंक के फैसलों से अमेरिका की करेंसी डॉलर के साथ-साथ दुनिया की करेंसी पर प्रभाव पड़ता है। दरअसल फेडरल बैंक भारत में आरबीआई की रेपो रेट की तरह ही वहां फेड रेट तय करता है।फेड या फेडरल बैंक का मौद्रिक रुख वास्तव में फेड दरों की भविष्य की दिशा तय करता है। फेड दरें वह आधार हैं जिस पर यूएस बॉन्ड यील्ड निर्धारित होते हैं। उच्च फेड दरों का अर्थ है अमेरिकी बांडों पर उच्च यील्ड। कोई भी निवेशक अपना नुकसान नहीं करवाना चाहता, इसलिए वह निवेश की उन जगहों को तलाश करता है जो निवेश के लिए सुरक्षित हो और ज्यादा मुनाफा दे।
जैसे ही फेड रेट अधिक होता है वैसे ही वैश्विक निवेशक हाई रिटर्न पाने के लिए बाकी के देशों से पैसे निकाल कर अमेरिका में डालते हैं जिसकी वजह से डॉलर और अधिक मजबूत होता है और इसकी वजह से रुपया कमजोर होता है।