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भारतीय युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए और पश्चिम देशों की आदतों को अपनाने से बचना चाहिए: नारायण मूर्ति

देश की प्रगति को जोर देते हुए इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने 3one4 Capital की वीडियो सीरीज के पहले एपिसोड द रिकॉर्ड में युवाओं को संबोधन दिया है। इस संबोधन में उन्होंने कई देशों की प्रगति के उदाहरण दिये हैं साथ ही युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने को लेकर जोर भी दिया है। इसके अलाव उन्होंने पश्चिम देशों की आदतों को ना अपनाने पर भी जोर दिया है।

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Fri, 27 Oct 2023 09:20 AM (IST)
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पश्चिम देशों की आदतों को अपनाने से बचना चाहिए: नारायण मूर्ति

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। इंफोसिस (Infosys) के संस्थापक नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने भारतीय युवा वर्ग को प्रगति करने और उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि आज के युवा को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। मूर्ति ने 3one4 Capital की वीडियो सीरीज के पहले एपिसोड "द रिकॉर्ड" में कहा कि मैं चाहता हूं कि भारत का हर युवा हफ्ते में 70 घंटे काम करें।

इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई से बातचीत के दौरान मूर्ति ने सही आदतों को अपनाने पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम देशों की बुरी आदतों की जगह पर सही आदतों को अपनाने की आवश्यकता है। अगर कोई युवा पश्चिम देशों की बुरी आदत को अपनाते हैं तो यह देश की मदद ना करें जितना होता है।

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युवाओं को किया संबोधन

नारायण मूर्ति ने उभरते बाजारों और चीन के बाजारों को लेकर कहा कि हम इन देशों से सिख सकते हैं। इन देशों में पिछले 25-30 वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। जब यह देश प्रगति की राह पर चल रहे होंगे तो इनके सामने कई उतार-चढ़ाव आ रहे होंगे। यह इन उतार-चढ़ाव का सामना करके ही आज प्रगति की इस राह पर पहुंचे हैं। इन देशों ने प्रगत के लिए नीतिगत निर्णय लिये हैं, हम भी आर्थिक रूप से विकसित होने के लिए इस तरह के निर्णय ले सकते हैं।

मूर्ति ने नौकरशाही दक्षता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि नौकरशाही किसी की देरी को कम नहीं करती है लेकिन फिर भी हम प्रतिस्पर्धा वाले देशों के साथ नहीं चल सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे अफसोस है कि भारत उत्पादकता के मामले में दुनिया में सबसे कम है। इसके लिए हमें अपने कार्य उत्पादकता पर काम करना होगा। इसके बाद ही हम सरकार द्वारा हो रहे भ्रष्टाचार को भी रोक पाएंगे। अगर भारत भी उत्पादकता पर जोर देगा तो वह भी बाकी प्रगतिशील देशों की तरह प्रगति कर पाएगा।

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जर्मनी और जापान में कॉरपोरेट्स और सरकारों ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपनाए पुननिर्माण का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह जर्मन में कर्मचारियों ने निश्चित घंटे से अतिरिक्त काम किया है, ठीक उसी तरह हमें भी करने की आवश्यकता है। हमें कार्य उत्पादकता में सुधार के साथ अनुशासित रहने की आवश्यकता है।

भारत की संस्कृति को दृढ़ बनाने के लिए युवाओं में परिवर्तन आने की जरूरत है। देश में युवा एक बहुत बड़ा वर्ग है। यह देश के निर्माण में सबसे ज्यादा योगदान देता है।