AED 2023: एशिया आर्थिक संवाद में बोले पीयूष गोयल, 30-40 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने जा रहे भारतीय
एशिया आर्थिक संवाद में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मेरा मानना है कि अगले चार से पांच वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। अभी हम पांचवें स्थान पर हैं। (फोटो PiyushGoyal)
By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 25 Feb 2023 11:22 PM (IST)
पुणे, पीटीआई। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि भारत अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2047 तक भारतीय अर्थव्यवस्था वहां खड़ी होगी, जहां आज अमेरिकी अर्थव्यवस्था है।
एशिया आर्थिक संवाद में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पिछली सरकार का क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) में शामिल होना मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के लिए आपदा जैसा फैसला था। 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरसीईपी में शामिल नहीं होने का फैसला किया तो यह मेरे कानों के लिए संगीत के समान था।
'4-5 सालों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा भारत'
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अगले चार से पांच वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। अभी हम पांचवें स्थान पर हैं। 2047 तक हम उस स्तर पर होंगे जिस स्तर पर आज अमेरिका है। भारत के 140 करोड़ लोग हमारी अर्थव्यवस्था को 30-40 ट्रिलियन डॉलर बनाने जा रहे हैं।आरसीईपी में शामिल नहीं होने पर गोयल ने कहा कि यह आपदा के समान था क्योंकि हम अपील की अदालत के बिना ऐसे मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में प्रवेश कर रहे थे, जहां कोई लोकतंत्र या कानून का शासन नहीं था। कुछ मुट्ठी भर लोगों को छोड़कर, मुझे याद नहीं कि किसी ने आरसीईपी में शामिल होने के लिए कहा हो।
बता दें कि आरसीईपी में भारत सबसे अलग था, क्योंकि इसमें शामिल 15 देशों में से 10 आसियान देशों के अलावा जापान और कोरिया के साथ भारत के एफटीए थे, जबकि चीन के साथ भारत का भू-राजनीतिक तनाव था। भारतीय बाजार में चीन के सस्ते कृषि और औद्योगिक उत्पादों की बाढ़ आने की आशंका के चलते भारत ने आरसीईपी से अलग होने का फैसला किया था।
चीन के साथ कारोबार पर बोलते हुए गोयल ने कहा कि उस समय के तंत्र ने भारत में मैन्यूफैक्चरिंग को गंभीर रूप से प्रभावित किया होगा। हमने चीन से उत्पादों को आने दिया, जबकि उन्होंने भारत से हमारे उत्पादों को वैध या अवैध कारणों से चीन जाने से रोक दिया। 2004-2014 के दौरान चीन का साथ हमारा व्यापार घाटा 50 करोड़ डॉलर से बढ़कर 48 अरब डालर पर पहुंच गया।