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मोदी दोबारा पीएम नहीं बने तो थम जाएगा भारत के विकास का पहिया: जॉन चैंबर्स

सिस्को सिस्टम्स के पूर्व एक्जीक्यूटिव चेयरमैन व सीईओ जॉन चैंबर्स ने यहां भारतीय संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारत के सामने सबसे मजबूत और समग्र विकास करने का अवसर है

By Ankit DubeyEdited By: Updated: Sun, 15 Jul 2018 08:05 AM (IST)
मोदी दोबारा पीएम नहीं बने तो थम जाएगा भारत के विकास का पहिया: जॉन चैंबर्स
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अमेरिका के शीर्ष उद्योगपति जॉन चैंबर्स ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले संसदीय चुनाव में देश का नेतृत्व करने का मौका नहीं मिला तो भारत का प्रभावशाली और समग्र विकास खतरे में पड़ सकता है।

सिस्को सिस्टम्स के पूर्व एक्जीक्यूटिव चेयरमैन व सीईओ जॉन चैंबर्स ने यहां भारतीय संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारत के सामने सबसे मजबूत और समग्र विकास करने का अवसर है। इसके लिए कम से कम एक दशक तक प्रयास जारी रखने होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के पास यह करने की क्षमता है। वह देश को सही दिशा में ले जा रहे हैं।

यूएस-इंडिया स्ट्रैटजिक एंड पार्टनरशिप फोरम (यूएसआइएसपीएफ)के वार्षिक लीडरशिप समिट के उद्घाटन के बाद चैंबर्स ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मोदी को यह काम पूरा करने का अवसर नहीं मिलता है तो विकास की रफ्तार खतरे में पड़ सकती है। उनसे पूछा गया था कि अगर 2019 में मोदी दोबारा नहीं चुने गए तो क्या स्थिति बनेगी। चैंबर्स ने कहा कि मोदी साहसी हैं, वह हर रोज अपने देश के भविष्य के बारे में सोचते हुए जागते हैं।

भारत-अमेरिका संबंधों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय रिश्तों में विस्तार की व्यापक संभावनाएं हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक विस्तार की इतनी व्यापक संभावनाएं है कि छोटे-मोटे अवरोधों से इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

भारत-अमेरिका के कारोबार की रफ्तार दोगुनी

इस बीच, अमेरिका के शीष सीनेटर रॉब पोर्टमैन ने कहा है कि भारत-अमेरिका के बीच कारोबार की वृद्धि दर चीन-अमेरिकी कारोबार की वृद्धि दर से दोगुनी है। यह तथ्य दुनिया को यह संदेश देने के लिए पर्याप्त है कि द्विपक्षीय रिश्ते बहुत गहरे हैं। फोरम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पोर्टमैन ने कहा कि टैरिफ और नॉन-टैरिफ बैरियर खत्म करने की जरूरत पर बल दिया। इस बाधाओं से द्विपक्षीय कारोबार में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि आज दोनों देशों के बीच कारोबार 126 अरब डॉलर है। वर्ष 2005 के बाद से कारोबार में 370 फीसद की वृद्धि हुई है। जबकि इस दौरान अमेरिका-चीन का कारोबार 174 फीसद बढ़ा था।