Move to Jagran APP

नए कानूनों से खुश हुआ उद्योग जगत

साल 2013 में भूमि अधिग्रहण, लोकपाल और नए कंपनी कानून के संसद से पास होने से इंडिया इंक खुश है। उद्योग जगत की अब चाहत है कि आने वाले साल में जीएसटी, डीटीसी और बीमा विधेयक को भी जल्द से जल्द पास कराया जाए। सीआइआइ के प्रेसीडेंट क्रिस गोपालकृष्णन के मुताबिक 2014 में सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का

By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

नई दिल्ली। साल 2013 में भूमि अधिग्रहण, लोकपाल और नए कंपनी कानून के संसद से पास होने से इंडिया इंक खुश है। उद्योग जगत की अब चाहत है कि आने वाले साल में जीएसटी, डीटीसी और बीमा विधेयक को भी जल्द से जल्द पास कराया जाए।

सीआइआइ के प्रेसीडेंट क्रिस गोपालकृष्णन के मुताबिक 2014 में सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून, इंफ्रास्ट्रक्चर नियमों और व्यापार सुधारों को आगे बढ़ाए। सरकार ने आर्थिक सुस्ती से जूझ रहे उद्योग जगत को राहत पहुंचाने के लिए इस वर्ष कई बड़े फैसले लिए। राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण जोन बनाने के अलावा, रुके पड़े प्रोजेक्टों को गति देना, टेलीकॉम, रक्षा जैसे कई क्षेत्रों में एफडीआइ सीमा बढ़ाई गई, सोने के प्रति बढ़ती चाहत को कम करने का प्रयास हुआ और निर्यात क्षेत्र को रफ्तार दिलाने के कई प्रयास किए गए।

बजट से पहले उद्योगपतियों में छाई निराशा

ट्रांसफर प्राइसिंग और गार नियमों को स्पष्ट कर सरकार ने पारदर्शिता बढ़ाने का प्रयास किया। हालांकि, उद्योग को लगता है कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) जैसी स्कीम को बहुत पहले शुरू कर देना चाहिए था। इससे सरकार सब्सिडी में गड़बड़ी को रोक सकती थी।

एसोचैम के प्रेसीडेंट राणा कपूर का कहना है कि सुधारों के मुद्दे पर यदि मैं अपनी राय बताऊं तो सरकार ने उम्मीद से कम काम किया। देश में कारोबारी माहौल बनाने के लिए प्रयास अभी भी कम किए जा रहे हैं। विश्व बैंक का हालिया शोध बताता है कि कारोबारी माहौल के लिहाज से 189 देशों में भारत का स्थान 134वां है। फिक्की के प्रेसीडेंट सिद्धार्थ बिड़ला ने कहा कि यह चिंता की वजह है। सरकार को अपनी प्राथमिकताएं तय करके तय समय सीमा के अंदर इन समस्याओं को दूर करना चाहिए।

महंगाई बढ़ने की वजह से रिजर्व बैंक भी ब्याज दरें कम नहीं कर पा रहा है। ऊंची ब्याज दरों से उद्योग जगत परेशान है। इससे न तो नया निवेश आ पा रहा है न ही विकास दर बढ़ी रही है। महंगाई के चलते मांग में कमी ने इंडिया इंक को परेशान कर दिया है।

गोपालकृष्णन ने कहा कि लोकसभा चुनाव की वजह से अगले साल के शुरुआती महीनों में निर्णय की प्रक्रिया सुस्त रहेगी। इसलिए हमें अब नई सरकार से ही उम्मीद है। अगले वित्त वर्ष में ही सुधारों की अगली खेप सामने आ पाएगी। अदालती आदेशों, भ्रष्टाचार की छाया और राजनीतिक आम राय न बनने से कई मुद्दे का समाधान नहीं हो पाया है। सीसीआइ (कैबिनेट की निवेश संबंधी समिति) ने कई रुके पड़े प्रोजेक्टों को हरी झंडी दिखाई है। अब इनको तेजी से पूरा करने की जरूरत है।