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क्रूड के तेवर से फिर बढ़ी महंगाई की चिंता, सरकारी तेल कंपनियां ऊंची कीमत पर खरीद रही हैं कच्चा तेल

आगामी आम चुनाव से पहले एक बार फिर देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कमी की संभावना पर बादल मंडरा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में एक बार फिर से भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। वैश्विक स्तर पर आपूर्ति की नई चिंताएं भी सामने आ रही हैं। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

By Jagran NewsEdited By: Gaurav KumarUpdated: Wed, 20 Sep 2023 07:46 PM (IST)
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कच्चे तेल की कीमतों में फिर से भारी अस्थिरता पैदा हो रही है

नई दिल्ली, जेएनएन: आगामी आम चुनाव से पहले देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कमी की संभावना पर फिर से बादल घिरने लगे हैं।

वजह यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में फिर से ना सिर्फ भारी अस्थिरता पैदा हो रही है बल्कि इसकी आपूर्ति को लेकर भी वैश्विक स्तर पर नई चिंताएं पैदा हो रही हैं।

तेल कंपनियां ऊंची कीमत पर खरीद रही हैं कच्चा तेल

पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि सितंबर का महीना लगातार तीसरा महीना है जब सरकारी तेल कंपनियां पिछले महीनों के मुकाबले ज्यादा कीमत पर कच्चे तेल की खरीद कर रही हैं।

सितंबर, 2023 में अभी तक तेल कंपनियों ने 92.69 डॉलर प्रति बैरल की दर से कच्चे तेल की खरीद की है। पिछले दिनों नवंबर, 2022 के बाद पहली बार क्रूड ने 95 डॉलर प्रति बैरल को पार किया था और 20 सितंबर को इसकी कीमत 92.3 डॉलर प्रति बैरल रही है।

किस महीने कितने डॉलर की रेट पर हुई खरीद

अगस्त, 2023 में 86.43 डॉलर, जुलाई में 80.37 डॉलर प्रति बैरल और जून में 74.93 डॉलर की दर से खरीद की है। शोध एजेंसी गोल्मैन सैक ने कहा है कि इस साल कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर तक जा सकती है।

तेल कंपनियों ने खुदरा दर में अंतिम बार संशोधन 06 अप्रैल, 2022 को किया था। उस माह क्रूड की कीमत 103 डॉलर था जो जुलाई, 2022 में बढ़ कर 116 डॉलर तक गया था लेकिन उसके बाद इसमें लगातार गिरावट का रूख बना हुआ था।

दिसंबर, 2022 में भारतीय तेल कंपनियों ने महज 78 डॉलर की दर से क्रूड की खरीद की थी। इसके बावजदू ग्राहकों को कोई राहत तेल कंपनियों ने नहीं दी थी।

दो दिन पहले जारी मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में आरबीआई ने भी कहा है कि

सऊदी अरब और रूस की तरफ से क्रूड उत्पादन में कटौती को जारी रखे रहने से कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बनी रह सकती हैं। अमेरिकी डॉलर की बढ़ी हुई मांग से भी कच्चा तेल महंगा हो रहा है।

महंगाई पर पड़ सकता है असर

कच्चे तेल की कीमतों में तेजी की वजह से महंगाई पर असर पड़ने की संभावना से भी आरबीआई इनकार नहीं कर रहा है। अगस्त, 2023 में खुदरा महंगाई की दर जुलाई, 2023 में दर्ज 7.44 फीसद के मुकाबले घट कर 6.83 फीसद हो गई है।

महंगाई की दर अभी भी आरबीआई की तरफ से तय लक्षित सीमा (चार फीसद) से काफी ज्यादा है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में नई वृद्धि से महंगाई थामने की कोशिशें मुश्किल में पड़ सकती हैं। अगर महंगाई की दर नीचे नहीं आती है तो फिर ब्याज दरों को बढ़ाने का दबाव आरबीआई पर बढ़ सकता है।

अमेरिका के फेडरल बैंक की बैठक चल रही है और इसमें ब्याज दरों को स्थिर रखे जाने के आसार हैं। कोटक सिक्यूरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट रविंद्र राव का कहना है कि

कच्चे तेल की कीमतों के कई महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद अब नजर अमेरिका के फेडरल बैंक पर है। ऐसा लगता है कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक नवंबर या दिसंबर में ब्याज दरों में एक और वृद्धि के विकल्प को खुला रखे हुए है।