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Inflation Control Methods: महंगाई से जब जनता करती है त्राहिमाम, राहत के लिए सरकार अपनाती है ये अचूक तरीके

Methods To Control Inflation बढ़ती महंगाई से काबू पाने के लिए सरकार कई तरह के अचूक तरीकों को अपनाती है जिससे मुद्रास्फीति को कंट्रोल किया जा सकता है। तो चलिए इन उपायों के बारे में जानते हैं। (फाइल फोटो )

By Sonali SinghEdited By: Sonali SinghUpdated: Mon, 10 Apr 2023 09:33 PM (IST)
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Methods To Control Inflation, See Government Policies And Rules

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Inflation Control Methods: मुद्रास्फीति यानी कि देश में बढ़ती महंगाई सरकार की सबसे बड़ी परेशानियों में से एक है। यह एक ऐसी स्थिति होती है, जब वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन लागत काफी बढ़ जाती है, जिस वजह से क्रय शक्ति गिर जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो इसमें रुपये की वैल्यू इसके पुराने रिकॉर्ड डेटा से कम हो जाती है और इस वजह से वस्तुओं की कीमतों को बढ़ाना पड़ता है।

किसी भी सरकार के लिए यह एक परेशान कर देने वाली स्थिति होती है, क्योंकि इससे प्रति व्यक्ति आय कम हो जाती है और इसका सीधा असर आम जनता पर होता है। इस कारण, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार कई तरीकों का इस्तेमाल करती है, जिससे इसे कम किया जाता है। तो चलिए इनके बारे में जानते हैं।

मूल्य नियंत्रण (Price Controls)

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अपनाए जाने वाले तरीकों में सबसे पहला नाम मूल्य नियंत्रण का आता है। इसके तहत प्राइस कंट्रोल और वेज कंट्रोल जैसे तरीकों का सहारा लिया जाता है। मूल्य नियंत्रण के तहत आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के लिए सरकार द्वारा मूल्य निर्धारित किया जाता है, ताकि कमी के दौरान भी वस्तुओं तक सभी की पहुंच हो सके। वहीं, वेज कंट्रोल में मजदूरी की कीमत को गिरने से रोकने के लिए सरकारी दिशानिर्देशों को लागू किया जाता है।

मौद्रिक नीति (Monetary Policy)

मुद्रास्फीति की स्थिति में रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को जोखिम वाले ऋणों पर दरें बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे धन की आपूर्ति कम हो जाती है। इसका प्रभाव मुद्रास्फीति पर पड़ता है। आरबीआई रेपो दर और रिवर्स रेपो के जरिए अर्थव्यवस्था में धन के प्रवाह को नियंत्रित करता है। ये वो दर हैं जिस पर केंद्रीय बैंक दूसरे बैंकों को उधार रकम देता है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए संकुचनकारी मौद्रिक नीति (Contractionary monetary policy) को अपनाया जाता है। यह नीति ब्याज दरों को अधिक महंगा बनाकर आर्थिक विकास को धीमा करने में मदद करता है। इससे अर्थव्यवस्था के भीतर धन आपूर्ति को कंट्रोल किया जाता है।