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CPI Inflation November 2022: महंगाई के मोर्चे पर राहत, नवंबर में घटकर 5.88 फीसद हुई मुद्रास्फीति

CPI Inflation November 2022 सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने नवंबर के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी कर दिए हैं। नए आंकड़ों के मुताबिक मुद्रास्फीति में लगातार कमी आ रही है और इसका दायरा सिकुड़ता जा रहा है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Mon, 12 Dec 2022 05:40 PM (IST)
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CPI Inflation November 2022 Comed down to 5.88 percent

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। CPI Inflation November 2022: महंगाई से जूझ रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। महीनों की जद्दोजहद और सरकार तथा आरबीआई के लगातार प्रयासों की बदौलत मुद्रास्फीति नवंबर में 9 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, नवम्बर महीने में मुद्रास्फीति घटकर 5.88% हो गई है।

नवंबर की खुदरा महंगाई और अक्टूबर महीने के औद्योगिक वृद्धि के आंकड़े आज जारी हुए। आपको बता दें कि ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने भारत की खुदरा मुद्रास्फीति के नीचे आने का अनुमान लगाया था। अलग-अलग संस्थाओं द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार अधिकतर अर्थशास्त्रियों का मानना था कि मुद्रास्फीति 6.4 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ सकती है।

तेजी से घट रही महंगाई

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति अनुकूल आधार प्रभाव के कारण अक्टूबर में तेजी से गिरकर 6.77 प्रतिशत हो गई थी। इस बार यह 6 प्रतिशत से अधिक के टॉलरेंस बैंड से कुछ नीचे आई है। लगातार 10 महीने तक मुद्रास्फीति 6 फीसद से ऊपर बनी रही। हालांकि, लगातार 38वें महीने यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य से अधिक है।

अनाज और दालों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन सब्जियों के दाम तेजी से गिरे हैं। कुछ खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण सीपीआई मुद्रास्फीति पर लगातार दबाव पड़ रहा है।

क्या कहते हैं आंकड़े

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर 2022 में 6.77 प्रतिशत और पिछले साल नवंबर में 4.91 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 4.67 फीसदी रही, जो पिछले महीने 7.01 फीसदी थी।

जनवरी से रिजर्व बैंक की 6 प्रतिशत की ऊपरी सहिष्णुता सीमा से ऊपर रहने के बाद, खुदरा मुद्रास्फीति 11 महीनों में अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है। दिसंबर 2021 में खुदरा महंगाई दर 5.66 फीसदी रही। रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते कहा था कि महंगाई का बुरा दौर पीछे छूट गया है, लेकिन महंगाई के खिलाफ लड़ाई में 'आत्मसंतोष' की कोई गुंजाइश नहीं है। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि महंगाई वह 'अर्जुन की नजर' बनाकर रखे हुए है। आरबीआई का अनुमान है कि जल्द ही मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत तक गिर जाएगी।

आरबीआई की दर वृद्धि का असर

नवंबर के लिए मुद्रास्फीति के आंकड़े आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा 7 दिसंबर को रेपो दर को 35 आधार अंकों (बीपीएस) बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत करने के कुछ ही दिनों बाद जारी किए गए हैं। आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने आठ महीनों में पांचवीं बार नीतिगत दर में वृद्धि की है।

आरबीआई के नवीनतम पूर्वानुमानों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 में महंगाई की दर 5.9 प्रतिशत और अप्रैल-जून 2023 में 5 प्रतिशत तक गिर सकती है। अक्टूबर-दिसंबर में सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 6.6 प्रतिशत देखी गई है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर महंगाई में कोई बड़ी कमी देखने को नहीं मिली तो आरबीआई फरवरी की एमपीसी मीटिंग में रेपो दर को एक बार और बढ़ा सकता है। उम्मीद है कि आरबीआई रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि का विकल्प चुनेगा। उसके बाद दरें स्थिर हो सकती हैं।

खुदरा महंगाई दर छह फीसद से नीचे होने पर महंगाई नियंत्रण में माना जाता है। खरीफ की नई फसल से महंगाई पर नियंत्रण पाने में मदद मिली है। यही वजह है कि नवंबर में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 4.67 फीसद रही जबकि इस साल अक्टूबर में यह दर 7.01 फीसद थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर माह में सब्जी के खुदरा दाम में पिछले साल नवंबर के मुकाबले 8.08 फीसद तो खाद्य तेल व वनस्पति में 0.63 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। चीनी के खुदरा दाम में भी पिछले साल नवंबर के मुकाबले 0.25 फीसद की गिरावट रही। 

नवंबर माह में अनाज व संबंधित उत्पाद की कीमतों में पिछले साल नवंबर के मुकाबले 12.96 फीसद, दूध व दुग्ध उत्पाद में 8.16 फीसद, मांस व मछली में 3.87 फीसद तो अंडा के खुदरा भाव में 4.86 फीसद का इजाफा दर्ज किया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले महीनों में खाद्य पदार्थ खासकर सब्जी की आवक बढ़ने से खुदरा महंगाई दर और कम हो सकती है। इससे आने वाले महीनों में आरबीआइ की तरफ से अब बैंक दरों में और बढ़ोतरी की संभावना काफी कम हो जाएगी। अब तक यह उम्मीद की जा रही थी कि चालू वित्त वर्ष में आरबीआइ एक बार और बैंक दर बढ़ा सकता है।

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