भारत की बढ़ेगी स्पेस इकोनॉमी, Space Sector में FDI मानदंडों को आसान बनाएगी सरकार
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद स्पेस सेक्टर को विकसित करने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। अब स्पेस सेक्टर में एफडीआई मानदंडों को आसान बनाने के लिए अंतर-मंत्रालयी चर्चा भी चल रही है। यह जानकारी देश के शीर्ष सरकारी अधिकारी द्वारा दी गई है। आपको बता दें कि वर्तमान में अंतरिक्ष क्षेत्र में 100 फीसदी तक एफडीआई की अनुमति है।
By AgencyEdited By: Priyanka KumariUpdated: Fri, 22 Sep 2023 02:51 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। देश के शीर्ष सरकारी अधिकारी ने आज जानकारी दी है कि विदेशी और प्राइवेट कंपनी को स्पेस सेक्टर के लिए आकर्षित करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मानदंडों (FDI) को आसान बनाने के लिए अंतर-मंत्रालयी चर्चा (Inter Ministerial Discussion) हो रही है। इस को लेकर अधिकारी ने बताया कि अगर यह चर्चा सफल हुआ तो देश में विदेशी कंपनियों द्वारा ज्यादा निवेश किया जा सकता है।
स्पेस सेक्टर में विदेशी निवेश मानदंडों को आसान बनाने के लिए अंतर-मंत्रालयी चर्चा का प्रस्ताव पेश किया गयाथा। इस चर्चा में एफडीआई की प्रक्रिया को आसान बनाने को लेकर काम किया जाएगा। इस चर्चा पर अधिक जानकारी नहीं दी है।
वर्तमान में अंतरिक्ष क्षेत्र में उपग्रह (Satelite) की स्थापना से लेकर संचालन के लिए केवल सरकारी मार्ग से 100 फीसदी तक एफडीआई की अनुमति है।
भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023
चंद्रयान-3 (Chandryan-3) की सफलता से लैंडिंग के बाद जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 Summit) में शामिल देशों ने भारत के साथ संभावित सहयोग या साझेदारी में रुचि दिखाई है। आपको बता दें कि भारत पहला देश है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास गया है। चंद्रयान-3 को सफल बनाने में इसरो (ISRO) का सबसे बड़ा योगदान है।इस साल अप्रैल 2023 में सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष नीति मंजूरी दे दी। इसके बाद स्पेस सेक्टर में निजी क्षेत्र की भागीदारी को संस्थागत बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें इसरो सहित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास को ध्यान में रखा गया है।भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 (Indian Space Policy 2023) में इसरो, पीएसयू न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IAN-Spcae) की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को भी रेखांकित किया गया है।
ऐसे में विभिन्न रिपोर्टों के अनुमान के अनुसार वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था (Global Space Economy) का मूल्य 2022 में लगभग 546 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जो 2040 तक लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान जताया जा रहा है। इन रिपोर्ट्स के मुताबिक अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेशकों की रुचि बढ़ाने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियां पूंजी प्रवाह को बढ़ावा दे रही हैं।इन रिपोर्ट्स में कहा गया है कि निजी स्टार्टअप के लिए स्थायी बाजार मांग बनाने की आवश्यकता है, जो बदले में भारत में एक मजबूत निजी अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना में योगदान देता है। डेलॉइट-सीआईआई की रिपोर्ट (Deloitte-CII report) के अनुसार भारत का स्पेस इकॉनोमी काफी मजबूत रहेगी।