वर्ष 2024 के अंत तक ब्याज में कटौती संभव, अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की भी बदली सोच
कई विशेषज्ञों ने हाल ही में इस बात को लेकर उम्मीद जताई है कि अगले वित्त वर्ष के अंत तक ब्याज दरों में कटौती की संभावना बन रही है। केंद्रीय उद्योग व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी हाल में उम्मीद जताई थी कि कुछ महीनों में ब्याज दरों में कटौती होगी जिससे कर्ज सस्ते होंगे। आइए पूरी डिटेल जान लेते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लगातार दो तिमाहियों के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर अप्रत्याशित तौर पर आठ फीसद से ज्यादा रहने के बाद अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की सोच बदल गई है। मूडीज के बाद अब एक और प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि भारत वर्ष 2024-25 में सात फीसद की विकास दर हासिल कर लेगा। आइए, पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।
इंडियन इकोनॉमी की रफ्तार कायम
कोविड काल के बाद भारत लगातार तेज आर्थिक विकास दर हासिल करने वाला दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में इकलौता देश होगा। इसके साथ ही फिच रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा है कि वर्ष 2024 की अंतिम छमाही (जुलाई से दिसंबर, 2024) में आरबीआइ की तरफ से ब्याज दरों में 0.50 फीसद की कटौती की भी जा सकती है।
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ब्याज दरों में कटौती की संभावना
कई विशेषज्ञों ने हाल ही में इस बात को लेकर उम्मीद जताई है कि अगले वित्त वर्ष के अंत तक ब्याज दरों में कटौती की संभावना बन रही है। केंद्रीय उद्योग व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी हाल में उम्मीद जताई थी कि कुछ महीनों में ब्याज दरों में कटौती होगी जिससे कर्ज सस्ते होंगे। फिच की रिपोर्ट ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर 7.8 फीसद रहेगी।
यह केंद्र सरकार की तरफ से 7.6 फीसद की आर्थिक विकास दर के अनुमान से भी ज्यादा है। तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर, 2024 में भारतीय इकोनमी ने 8.4 फीसद की छलांग लगाई है। इसकी वजह से सरकारी एजेंसियों के साथ ही विदेशी आर्थिक एजेंसियां भी विकास दर के अनुमान में संशोधन कर रही हैं।
सदन रहे कि जब वित्त वर्ष की शुरुआत हुई थी तब विकास दर के 6.5 फीसद के करीब ही रहने का अनुमान लगाया गया था।