इंटरनेट कारोबार को लगेगा झटका, इस्तेमाल होगा 30 फीसद महंगा
दूरसंचार विभाग (डॉट) की ओर से लेवी फीस बढ़ाए जाने के कारण इंटरनेट इस्तेमाल करीब 30 फीसद तक महंगा होगा। डॉट ने नए दूरसंचार लाइसेंस समझौते पर शुद्धिपत्र जारी करके इंटरनेट सेवाओं से हुई आय को सेस (उपकर) के दायरे में शामिल किया है। दो अगस्त को जारी किए गए यूनिफाइड लाइसेंस के शुरुआती मसौदे में डॉट
By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग (डॉट) की ओर से लेवी फीस बढ़ाए जाने के कारण इंटरनेट इस्तेमाल करीब 30 फीसद तक महंगा होगा। डॉट ने नए दूरसंचार लाइसेंस समझौते पर शुद्धिपत्र जारी करके इंटरनेट सेवाओं से हुई आय को सेस (उपकर) के दायरे में शामिल किया है। दो अगस्त को जारी किए गए यूनिफाइड लाइसेंस के शुरुआती मसौदे में डॉट ने दूरसंचार कंपनी की समायोजित सकल आय (एजीआर) में इंटरनेट सेवा आय को शामिल नहीं किया था।
इसमें कहा गया था कि शुद्ध इंटरनेट सेवाओं, बिक्री कर और रोमिंग आय को कुल आय में घटाकर एजीआर का आकलन किया जाएगा। लेकिन अब डॉट ने एजीआर के आकलन को लेकर शुद्धिपत्र जारी करते हुए इंटरनेट सेवाओं को छूट देने वाला प्रावधान हटा दिया है। नए लाइसेंस के तहत दूरसंचार ऑपरेटरों (इंटरनेट सेवा प्रदाताओं सहित) को एजीआर पर सालाना आठ फीसद की लाइसेंस फीस चुकानी होगी। इंटरनेट सेवा प्रदाता एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आइएसपीएआइ) ने चेतावनी दी है कि इस कदम से उपभोक्ता दरों में 30 फीसद की वृद्धि होगी। संगठन के प्रेसीडेंट राजेश छारिया ने कहा कि यह कदम देश में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने के लिहाज से बड़ा झटका है। विभिन्न स्तरों पर लाइसेंस फीस लगने से दरों में काफी इजाफा होगा। छारिया ने कहा कि पूरा इंटरनेट ब्रॉडबैंड कारोबार एकाधिकार में आ जाएगा, जो कि देश के हित में नहीं है। इस एकाधिकार पूर्ण बाजार में केवल एक या दो कंपनियों को लाभ मिलेगा।