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10 अगस्‍त को खुल रहा है एक और IPO, जानिए क्‍या होगा प्राइस बैंड

अगले हफ्ते एक और IPO बाजार में हिट कर रहा है। इस कंपनी का नाम Aptus Value Housing फाइनेंस है। कंपनी के मुताबिक 2780 करोड़ रुपये के प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के लिए 346-353 रुपये प्रति शेयर का मूल्य बैंड तय किया गया है।

By Ashish DeepEdited By: Updated: Sat, 07 Aug 2021 08:47 AM (IST)
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कंपनी ने कहा कि IPO 10 अगस्त को आवेदन के लिए खुलेगा और 12 अगस्त को बंद होगा। (Pti)
नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। अगले हफ्ते एक और IPO बाजार में हिट कर रहा है। इस कंपनी का नाम Aptus Value Housing फाइनेंस है। कंपनी के मुताबिक 2,780 करोड़ रुपये के प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के लिए 346-353 रुपये प्रति शेयर का मूल्य बैंड तय किया गया है। कंपनी ने कहा कि IPO 10 अगस्त को आवेदन के लिए खुलेगा और 12 अगस्त को बंद होगा।

2,780 करोड़ रुपये जुटाए जाने की उम्मीद

IPO में 500 करोड़ रुपये के नये इक्विटी शेयर और प्रवर्तकों एवं मौजूदा शेयरधारकों द्वारा 6,45,90,695 इक्विटी शेयरों की बिक्री का प्रस्ताव शामिल है। कीमत दायरा के उच्च मूल्य के साथ IPO से 2,780 करोड़ रुपये जुटाए जाने की उम्मीद है। कंपनी आईपीओ से मिलने वाले रकम का इस्तेमाल अपनी पूंजी जरूरतों को पूरा करने में करेगी।

35 फीसदी खुदरा निवेशक

IPO का आधा हिस्सा योग्य संस्थागत खरीदारों (QIB) के लिए, 35 फीसदी खुदरा निवेशकों के लिए और शेष 15 फीसदी गैर-संस्थागत निवेशकों के लिए आरक्षित किया गया है।

प्रमोटरों को बड़ी सहूलियत

बता दें कि बाजार नियामक SEBI ने प्रवर्तक से नियंत्रणकारी हिस्सेदार की धारणा को अपनाने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति जताई है। साथ ही आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के बाद प्रर्वतकों के लिये न्यूनतम ‘लॉक इन’ अवधि कम करने का निर्णय किया। निदेशक मंडल की बैठक के बाद भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक बयान में कहा कि समूह की कंपनियों के लिये खुलासा नियमों को दुरुस्त करने का भी निर्णय किया गया है।

सेबी ने ‘लॉक इन’ अवधि के बारे में कहा कि यदि निर्गम के उद्देश्य में किसी परियोजना के लिए पूंजीगत व्यय के अलावा अन्य बिक्री पेशकश या वित्तपोषण का प्रस्ताव शामिल है, तो आरंभिक सार्वजनिक निर्गम और अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) में आबंटन की तारीख से प्रवर्तकों का न्यूनतम 20 प्रतिशत का योगदान 18 महीने के लिये ‘लॉक’ किया जाना चाहिए। वर्तमान में, ‘लॉक-इन’ अवधि तीन वर्ष है।

(Pti इनपुट के साथ)