Move to Jagran APP

IRDAI करेगा शिकायत निवारण तंत्र में सुधार, 'बीमा भरोसा' से कायम रहेगी ग्राहकों की उम्मीद

Bima Bharosa बीमा भरोसा का नया पोर्टल ग्राहकों की शिकायतों का निराकरण चरणबद्ध तरीके से करेगा। शिकायत के पंजीकरण के बाद बीमा कंपनी द्वारा क्या-क्या एक्शन लिए गए इसकी जानकारी उन्हें ई-मेल आईडी या एसएमएस के जरिए मिलती रहेगी।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2022 08:36 AM (IST)
Hero Image
Bima Bharosa: IRDAI to revamp grievance redressal mechanism
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। बीमा नियामक आईएआरडीएआई (IRDAI) शिकायत निवारण को अधिक कुशल बनाने के लिए जल्द नया शिकायत निवारण तंत्र शुरू करेगा। इसमें ग्राहकों को क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी शिकायत दर्ज कराने का विकल्प मिलेगा। 2011 में शुरू की गई एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आइजीएमएस) को ग्राहकों के लिए अधिक सुविधाजनक बनाने के मकसद से उन्नत किया जा रहा है। इसका नाम बदलकर ‘बीमा भरोसा’ (Bima Bharosa) रखा जाना है। विभिन्न संस्थाओं के खिलाफ शिकायतों के पंजीकरण से लेकर, विभिन्न चरणों के माध्यम से शिकायतों के प्रसंस्करण और शिकायतों के अंतिम समाधान तक सभी सुविधाएं इस पोर्टल पर मौजूद होंगी।

संशोधित पोर्टल बीमा भरोसा (Bima Bharosa) शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने और ट्रैक करने का शुरुआती माध्यम होने के साथ साथ-साथ बीमा कंपनियों द्वारा शिकायतों के निपटान की निगरानी में आईआरडीएआई की मदद भी करेगा। 'बीमा भरोसा' पोर्टल अधिक समयबद्ध तरीके से ग्राहकों की जरूरतों का ख्याल रखेगा। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं में शिकायत दर्ज कराने वाले ग्राहकों के विकल्प के साथ शिकायत निवारण को और अधिक कुशल बनाना है। इसके जरिए 2011 में शुरू की गई एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (IGMS) को ग्राहकों के लिए अधिक सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से उन्नत किया जा रहा है।

कैसे काम करेगा बीमा भरोसा

सभी लेन-देन, विभिन्न संस्थाओं के खिलाफ शिकायतों का पंजीकरण और उनके निपटान तक के काम इस पोर्टल पर होंगे। पोर्टल पॉलिसीधारकों को बीमा कंपनियों के खिलाफ उनकी शिकायतों के निवारण के लिए 13 क्षेत्रीय भाषाओं में शिकायत दर्ज करने देगा। शिकायतकर्ता को शिकायत दर्ज करने में आसानी जो, इसके लिए केवल आठ अनिवार्य जानकारियां देनी होंगी। पोर्टल पर आने वाले शिकायतकर्ताओं को अधिक परेशान न होना पड़े, इसके लिए 'नई शिकायत दर्ज करें' और 'शिकायत की स्थिति को ट्रैक करें' जैसे विकल्प दिए गए हैं।

अपनी हालिया बोर्ड बैठक में बीमा नियामक ने ग्राहकों और उद्योग दोनों के हित में कई फैसले लिए।मने बीमाकर्ताओं द्वारा शेयरों और ऋणों के माध्यम से पूंजी जुटाने के लिए नियामक की सहमति लेने की आवश्यकता को समाप्त करने का निर्णय लिया।