IREDA पर RBI की प्रस्तावित गाइडलाइंस का क्या असर होगा, कंपनी ने खुद बताया
बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में वित्तीय संस्थाओं के लिए मसौदा निर्देशों को जारी किया है। इसमें प्रस्ताव है कि इंफ्रा प्रोजेक्ट को कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों को कुल लोन का 5 प्रतिशत प्रोविजिनिंग के रूप में रखना होगा। इससे बैंकिंग और नॉन-बैंकिंग संस्थानों के शेयरों में भारी गिरावट आई। IREDA का कहना है कि RBI के फैसले का उस पर बेहद सीमित प्रभाव होगा।
आरबीआई की ड्राफ्ट गाइडलाइंस का मकसद उन खामियों को दूर करना है, जिनकी वजह से नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बढ़ता है। इससे कंसोर्टियम फाइनेंसिंग में अनुशासन बढ़ेगा। इसका ज्यादा असर उन लेंडर्स पर पड़ेगा, जो आरबीआई के प्रोविजनिंग नॉर्म्स का पालन करते हैं। साथ ही, अपने AUM में लंबी निर्माण अवधि वाले प्रोजेक्ट्स रखते हैं। इरेडा पर इसका बेहद सीमित प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि हम पहले से ही हायर प्रोविजनिंग का पालन करते हैं और हमें आरबीआई की प्रस्तावित गाइडलाइंस से तालमेल बिठाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
प्रदीप कुमार दास, IREDA के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर
IREDA पर क्यों नहीं होगा ज्यादा इंपैक्ट?
- IREDA जिन RE प्रोजेक्ट, जैसे कि सौर और पवन परियोजनाएं, की फाइनेंस करती है, उनकी निर्माण अवधि अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग NBFC की तुलना में कम होती है।
- IREDA के पोर्टफोलियो में शामिल ज्यादातर प्रोजेक्ट पर पहले ही काम शुरू हो गया, इसलिए अतिरिक्त प्रावधान की जरूरत का प्रभाव सीमित हो जाता है।
- IREDA के प्रॉफिट ऑफ्टर टैक्स (पीएटी) के काफी हद तक अप्रभावित रहने की उम्मीद है। वहीं, नेट वर्थ और Capital Adequacy Ratio (CRAR) पर मामूली असर पड़ सकता है।