चीन से निवेश बढ़ाने की होगी कोशिश, क्या इसमें भारत का हित है?
2020 में गलवान घाटी में भारत-चीनी सैनिकों के बीच सीमा विवाद को लेकर हिंसक झड़प हुई। इसके बाद से भारत ने चीनी निवेश पर सख्ती बढ़ा दी थी। तब से दोनों देशों के बीच तनाव भी बना हुआ है। लेकिन अब सरकार कुछ सेक्टर में चीनी कंपनियों के लिए ढील देने की तैयारी है जो सुरक्षा के लिहाज अधिक संवेदनशील नहीं हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी का कहना है कि भारत को चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को तेजी से मंजूरी देने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश की जरूरत है। इसका कारण यह है प्रत्येक मामले की समीक्षा की व्यवस्था धीमी है। बेरी ने कहा कि फिलहाल भारत सुरक्षा उद्देश्य से चीन के एफडीआई प्रस्तावों की जांच करता है। अमेरिका में भी ऐसी व्यवस्था है।
उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि इस संदर्भ में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए। हम चीन से निवेश प्राप्त करना चाहते हैं। उसके पास अच्छी प्रौद्योगिकी है।' इसी सप्ताह संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का उपयोग करने के लिए चीन से एफडीआई की अनुमति देने की वकालत की गई है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, 'हालांकि सच्चाई यह है कि हमें उनके साथ कूटनीतिक स्तर पर कुछ समस्याएं हैं और इसीलिए हमें सतर्क रहना होगा।' देश में वर्तमान में ज्यादातर एफडीआई स्वत: मंजूर मार्ग से आता है। हालांकि, भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से किसी भी क्षेत्र में आने वाले एफडीआई को अनिवार्य रूप से सरकारी मंजूरी की जरूरत होती है।
भारत ने बैन किए 200 चीनी ऐप्स
भारत में अप्रैल, 2000 से मार्च, 2024 तक आए कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में केवल 0.37 प्रतिशत हिस्सेदारी (2.5 अरब डॉलर) चीन की रही और वह इस मामले में 22वें स्थान पर रहा। भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देश चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमा और अफगानिस्तान हैं।
भारत कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। तनाव के बीच भारत ने टिकटॉक, वीचैट और अलीबाबा के यूसी ब्राउजर जैसे 200 से अधिक चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था। इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी बीवाईडी के एक बड़े निवेश प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया गया था।
हालांकि, इस साल की शुरुआत में प्रतिस्पर्धा आयोग ने जेएसडब्ल्यू समूह के एमजी मोटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में 38 प्रतिशत हिस्सेदारी के प्रस्तावित अधिग्रहण को मंजूरी दे दी थी। एमजी मोटर इंडिया शंघाई की एसएआईसी मोटर की पूर्ण सब्सिडियरी कंपनी है।