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क्या खाद्य महंगाई को दरकिनार करेगा RBI, दिसंबर MPC में घटाएगा ब्याज दर?

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने आरबीआई को सुझाव दिया है कि उसे दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए। उनका कहना है कि खाद्य महंगाई के आधार पर ब्याज दर घटाने या बढ़ाने का फैसला लेने की थ्योरी सही नहीं है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गोयल के सुझाव पर अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Thu, 14 Nov 2024 03:32 PM (IST)
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शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंकर के सामने कई चुनौतियां होती हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। इस वक्त भारतीय अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही है। FMCG सेक्टर समेत ज्यादातर कंपनियों के तिमाही नतीजे काफी खराब रहे। इससे खपत घटने का संकेत मिलता है। दूसरी तरफ, महंगाई लगातार बढ़ रही है। खुदरा महंगाई तो आरबीआई की तय हद यानी 6 फीसदी के ऊपर निकल चुकी है। इससे ब्याज दरों में जल्द कटौती होने की गुंजाइश को भी झटका लगा है।

हालांकि, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि ब्याज दर घटाने या बढ़ाने का फैसला खाद्य महंगाई के हिसाब से लेने की थ्योरी सही नहीं है। उन्होंने सीएनबीसी-टीवी18 ग्लोबल लीडरशिप समिट में कहा कि आरबीआई को ब्याज दरों में जरूर कटौती करनी चाहिए। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास भी कार्यक्रम में मौजूद थे और उन्होंने इस पर अपनी प्रतिक्रिया भी दी।

आरबीआई गवर्नर ने क्या कहा?

शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंकर के सामने कई चुनौतियां होती हैं। एक तरफ कुछ नहीं करना या देर से कदम उठाना, तो दूसरी तरफ बहुत ज्यादा और बहुत जल्द कदम उठाने की चुनौती रही है। उन्होंने कहा कि मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने अक्टूबर में अपना रुख बदलकर 'न्यूट्रल' कर दिया। अब आरबीआई के पास ब्याज दरों में कमी का फैसला लेने की काफी आजादी है।

हालांकि, उन्होंने ब्याज दरों में कमी करने वाले वाणिज्य मंत्री के सुझाव पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "अगली मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग दिसंबर के पहले हफ्ते में ही होने वाली है। मैं उस वक्त तक के लिए अपना जवाब सुरक्षित रखना चाहता हूं।"

गोयल को जल्द महंगाई घटने की उम्मीद

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अपने भाषण में उम्मीद जताई कि दिसंबर तक महंगाई घटने लगेगी। उनसे पिछले डेढ़ महीने से स्टॉक मार्केट में विदेशी निवेशकी की बिकवाली पर भी सवाल पूछ गया। गोयल का जवाब था, 'निवेशकों को इन्वेस्टमेंट लंबी अवधि के लिए करना चाहिए। उन्हें मार्केट की पूरी तस्वीर को तिमाही आधार पर ही नहीं देखना चाहिए।'

विदेशी निवेशक अक्टूबर की शुरुआत से भारतीय बाजार में अब तक की सबसे बड़ी बिकवाली कर रहे हैं। यह सिलसिला नवंबर में भी जारी है। इससे भारतीय बाजार पर दबाव बना है। शेयर बाजार के दोनों प्रमुख सूचकांक- सेंसेक्स और निफ्टी अपने ऑल-टाइम हाई से 10 फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं।

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