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पहली तिमाही में सुस्त पड़ी जीडीपी की रफ्तार, आर्थिक जानकार बोले- घबराने की बात नहीं

मुख्य आर्थिक सलाहकार का कहना है कि वर्तमान में कारोबार का सकारात्मक रुख है और निवेश में मजबूती दिख रही है। बेहतर मानसून से खरीफ की पैदावार पिछले साल से अधिक रहने की उम्मीद है जिससे ग्रामीण मांग में तेजी रहेगी। बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत दिख रही है और सरकार का राजकोषीय घाटा काबू में है। सात प्रतिशत की विकास दर हासिल करना ज्यादा मुश्किल नहीं है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 30 Aug 2024 08:36 PM (IST)
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सर्विस सेक्टर में इस साल अप्रैल-जून में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में विकार दर धीमी रही।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव की वजह से सरकारी खर्च में कमी और कृषि का बेहतर प्रदर्शन नहीं होने से चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी विकास दर आरबीआई की उम्मीद से कम 6.7 प्रतिशत रही। यह विकास दर गत पांच तिमाही में सबसे कम है। आरबीआई ने इस अवधि में 7.1 प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया था। हालांकि इसके बावजूद इस साल अप्रैल-जून में भी भारत दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाला देश बना हुआ है।

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत विकास दर चिंता का विषय नहीं है क्योंकि भारत की वृहद (मैक्रो) अर्थव्यवस्था काफी मजबूत दिख रही है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने बताया कि इस साल पेश किए आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में 6.5-7 प्रतिशत की विकास दर बिल्कुल वास्तिवक दिख रही है और पहले से जारी ढांचागत सुधार के साथ आगे बढ़ने पर यह विकास दर सात प्रतिशत को पार भी कर सकती है।

कुछ जानकारों का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में विकास दर 8.2 प्रतिशत थी और बेस ईयर (आधार वर्ष) मजबूत होने के बावजूद इस साल अप्रैल-जून में 6.7 प्रतिशत की विकास दर को कम नहीं आंका जा सकता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कुल जीडीपी 43,63,732 करोड़ का रहा जबकि पिछले साल की समान अवधि में कुल जीडीपी 40,91,484 करोड़ का था।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल-जून में प्राइमरी सेक्टर जिसमें कृषि, फिशिंग, वन्य कार्य, खनन शामिल है, की विकास दर सिर्फ 2.7 प्रतिशत रही जबकि पिछले साल अप्रैल-जून में प्राइमरी सेक्टर की विकास दर 4.2 प्रतिशत थी। चुनाव की वजह से इस साल अप्रैन-जून में सरकारी खर्च 4,14,945 करोड़ रहा जबकि पिछले साल अप्रैल-जून में यह खर्च 4,15,961 करोड़ का था।

हालांकि इस साल अप्रैल-जून में निजी खपत या खर्च 24,56,777 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह खर्च 22,86,468 करोड़ था। इस बढ़ोतरी से निजी खपत की हिस्सेदारी जीडीपी में 56.3 प्रतिशत हो गई। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ग्रामीण क्षेत्र में मांग में बढ़ोतरी से मैन्युफैक्चरिंग ने सात प्रतिशत की विकास दर के साथ पिछले साल से अच्छा प्रदर्शन किया जो रोजगार सृजन के लिहाज से अच्छा है।

सर्विस सेक्टर में इस साल अप्रैल-जून में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में विकार दर धीमी रही। व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार जैसी सेवाओं की विकास दर इस साल 5.7 प्रतिशत रही जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह विकास दर 9.7 प्रतिशत थी।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि वर्तमान में कारोबार का सकारात्मक रुख है और निवेश में मजबूती दिख रही है। बेहतर मानसून से खरीफ की पैदावार पिछले साल से अधिक रहने की उम्मीद है जिससे ग्रामीण मांग में तेजी रहेगी। बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत दिख रही है और सरकार का राजकोषीय घाटा काबू में है। कृषि, रोजगार, स्कि¨लग प्रोग्राग, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, इनोवेशन, रिसर्च जैसे कार्यक्रम को जारी रख मीडियम टर्म में सात प्रतिशत की विकास दर चालू वित्त वर्ष में हासिल की जा सकती है।

 चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में किसकी रही कितनी विकास दर

सेक्टर विकास दर 
प्राइमरी सेक्टर (कृषि, फिशिंग, वन्य कार्य, खनन)  2.7 प्रतिशत
मैन्यूफैक्चरिंग  7.0 प्रतिशत
बिजली, गैस, पानी व अन्य सेवा   10.4 प्रतिशत
निर्माण  10.5 प्रतिशत
होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार आदि   7.2 प्रतिशत
वित्तीय सेवा, रियल एस्टेट, प्रोफेशनल सेवा   7.1 प्रतिशत
लोक प्रशासन,रक्षा, अन्य सेवा  9.5 प्रतिशत

पिछले पांच तिमाही की विकास दर

वित्त वर्ष जीडीपी ग्रोथ
FY 2023-24 Q1 8.2 प्रतिशत
FY 2023-24 Q2 8.1 प्रतिशत
FY 2023-24 Q3 8.6 प्रतिशत
FY 2023-24 Q4 7.8 प्रतिशत
FY 2024-25 Q1  6.7 प्रतिशत
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