Mudra Loan Yojana: अब मुद्रा लोन लेने में होगी मुश्किल! नियमों को सख्त करने वाली है सरकार
केंद्र सरकार मुद्रा लोन के जरिए रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। उसने बजट 2024 में मुद्रा लोन की मैक्सिमम लिमिट को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया है। मुद्रा लोन अधिकतर छोटे कारोबारी लेते हैं और उनका फिजिकल वेरिफिकेशन मुश्किल होता है। ई-वेरिफिकेशन से बैंकों का काम आसान हो सकता है। लेकिन इससे कर्ज लेने की प्रक्रिया कुछ जटिल हो सकती है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश में स्व-रोजगार को बढ़ावा देने के लिए ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत अपना रोजगार करने के इच्छुक लोगों को रियायती दर पर कर्ज उपलब्ध कराया जाता है। इसमें लोन की गारंटी भी सरकार लेती है। बहुत-से लोगों ने योजना का लाभ भी उठाया है। लेकिन, अब मुद्रा लोन मिलने में कुछ मुश्किल हो सकती है।
सख्त होंगे मुद्रा लोन लेने के नियम
अब मुद्रा लोन लेने के नियमों को कड़ा करने की तैयारी हो रही है। सरकार सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने नई गाइडलाइंस तैयार की हैं। इसके मुताबिक, अब से लोन लेने वाले शख्स का बैकग्राउंड चेक किया जाना चाहिए। यह पता लगाना चाहिए कि वह कर्ज लेने लायक है या नहीं। नीति आयोग ने कई अन्य सुझाव भी दिए हैं, जिन पर सरकार अमल कर सकती है।
क्या कहती है नीति आयोग की रिपोर्ट
नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की है, ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के प्रभाव का आकलन’ ( Niti Aayog’s Impact Assessment of PMMY Report)। इसमें लोन की अंडरराइटिंग के लिए ई-केवाईसी को बढ़ावा देने की वकालत की गई है, ताकि लोन के फायदे का आकलन किया जा सके।
क्या है मुद्रा लोन योजना?
केंद्र सरकार मुद्रा लोन के जरिए रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। उसने बजट 2024 में मुद्रा लोन की मैक्सिमम लिमिट को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया है। मुद्रा लोन अधिकतर छोटे कारोबारी लेते हैं। उनके पास बहुत सीमित डॉक्यूमेंट्स होते हैं, इसलिए उनका वेरिफिकेशन मुश्किल होता है। लेकिन, ई-वेरिफिकेशन से बैंकों का काम आसान हो सकता है। लेकिन, इससे कर्ज लेने की प्रक्रिया कुछ जटिल हो सकती है।2015 में लॉन्च हुई थी योजना
मुद्रा योजना को सरकार ने 2015 में लॉन्च किया था। आधिकारिक पोर्टल के मुताबिक, अब तक 39.93 करोड़ लोन पास हुए हैं। वहीं, 18.39 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बांटा जा चुका है। हालांकि, इस योजना में कर्ज लेने के लिए कुछ गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती, तो इसमें डिफाल्ट होने का खतरा अधिक रहता है। लेकिन, नए नियमों के लागू होने पर बैंकों को जोखिम का सही आकलन करने में मदद मिल सकती है।
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