डेडलाइन के बाद ITR भरने के नुकसान: 5 हजार रुपये तक लग सकता है जुर्माना, रिफंड मिलने में भी होती है झंझट
ITR Filing 2024 आयकर विभाग के डेटा के मुताबिक अभी तक साढ़े पांच करोड़ से अधिक लोग आईटीआर फाइल कर चुके हैं। हालांकि अभी भी बड़ी बड़ी संख्या में ऐसे करदाता हैं जिन्होंने रिटर्न फाइल नहीं किया है। आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। आइए जानते हैं कि डेडलाइन के बाद रिटर्न किस तरह की दिक्कतें आती हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई है, जो अब लगभग खत्म होने वाली है। आयकर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक साढ़े पांच करोड़ से अधिक लोगों ने आईटीआर फाइल कर दिया है। लेकिन, अब भी बहुत-से लोगों ने अपना आईटीआर फाइल नहीं किया है। इसका मतलब कि बड़ी संख्या में लोग 31 जुलाई तक आईटीआर फाइल नहीं कर पाएंगे।
आइए जानते हैं कि अगर आपने डेडलाइन खत्म होने तक आईटीआर फाइल नहीं किया, तो क्या होगा। आपको आईटीआर करने की मोहलत मिलेगी और पेनल्टी कितनी देनी होगी।
31 दिसंबर तक भर सकेंगे बिलेटेड रिटर्न
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नियमों के मुताबिक, करदाता 31 जुलाई यानी डेडलाइन खत्म होने के बाद भी रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इसके लिए आपको इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139 (4) के तहत बिलेटेड रिटर्न भरना होगा। इसे मौजूदा असेसमेंट ईयर खत्म होने से 3 महीने पहले यानी 31 दिसंबर 2024 तक बिलेटेड रिटर्न दाखिल किया जा सकता है।5 हजार रुपये तक का लगेगा फाइन
अगर आप 31 जुलाई तक आईटीआर फाइल नहीं कर पाते, तो लेट फीस चुकाकर बिलेटेड रिटर्न फाइल कर सकते हैं। अगर आपकी सालाना आय 5 लाख रुपये से अधिक है, तो लेट फीस 5000 रुपये होगी। वहीं, 5 लाख रुपये से कम आय वाले करदाताओं के लिए फाइन की रकम 1000 रुपये तक हो सकती है, इससे अधिक नहीं।
देर से ITR फाइल करने के नुकसान
- अगर आप बिलेटेड आईटीआर फाइल करते हैं, तो लॉस को अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड की इजाजत नहीं होगी। सामान्य स्थिति में आप लॉस को 8 साल तक कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं।
- बिलेटेड आईटीआर भरने पर आपको रिफंड वाली रकम पर कोई ब्याज नहीं मिलता। वहीं, समय पर आईटीआर फाइल करने वाले करदाताओं को रिफंड की राशि पर 0.5 फीसदी प्रति माह की दर से ब्याज दिया जाता है।
- बिलेटेड ITR फाइल करते समय अगर किसी तरह की टैक्स देनदारी बनती है, तो जुर्माने के तौर पर ब्याज यानी पीनल इंटरेस्ट लगेगा। यह 1 फीसदी प्रति माह की दर से लगता है।
- बिलेटेड रिटर्न भरने पर रिफंड भी देर से आएगा। इसे वेरिफाई करने की एक प्रक्रिया होती है और आप आईटीआर फाइल करने में जितनी देर करेंगे, उतना ही लेट आपको रिफंड भी मिलेगा।