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ITR भरने के मामले में उत्तर-प्रदेश रहा दूसरे नंबर पर, 2014 की तुलना में 7 गुना से ज्‍यादा उछाल

ITR इस साल सबसे ज्यादा रिटर्न फाइल उत्तर-प्रदेश में हुआ है। आईटीआर के मामले में यह देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बनकर उभरा है। आरबीआई के रिपोर्ट के अनुसार जून 2014 में 1.65 लाख रिटर्न फाइल हुए थे। वहीं इस साल इसकी संख्या 11.92 लाख हो गई है। आइए इस आर्टिकल में इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। (जागरण फाइल फोटो)

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Sat, 19 Aug 2023 10:00 PM (IST)
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ITR भरने के मामले में देश में दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत के उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा रिटर्न फाइल किया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी बुलेटिन में यह जानकारी दिया गया है। केंद्रीय बैंक ने बताया कि रिटर्न फाइल के मामले में  उत्तर प्रदेश दूसरा सबसे बड़ा राज्य बनकर उभरा है। आरबीआई के रिपोर्ट के अनुसार जून 2014 में 1.65 लाख रिटर्न फाइल हुए थे। वहीं इस साल इसकी संख्या 11.92 लाख हो गई है।

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा फंड की इंवेस्टमेंट भी हुई है। निवेश के सेक्टर में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 16.2 फीसदी है। इसके बाद उत्तर प्रदेश इंवेस्टमेंट के मामले में टॉप पर पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने के लिए कई तरह के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इसी के साथ उत्तर प्रदेश की इनकम में भी बढ़ोतरी हो रही है।

उत्तर प्रदेश का जीएसडीपी भी बढ़ा

एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार उत्तर प्रदेश की इनकम 21.91 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया जा रहा है। राज्य का जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद)  2020-21 में 16,45,317 करोड़ रुपये था। वहीं 2021-22 में यह 20 फीसदी बढ़ कर 19,74,532 करोड़ रुपये हो गया है।

प्रेस रिलीज के अनुसार कोविड-19 महामारी के कारण जहां देश भर 3 साल तक मंदी जैसे हालात थे, वहीं उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही थी। इस बीच सरकार ने गरीबों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं भी शुरू की है। यह राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में काफी सहायक है।

उत्तर प्रदेश में गरीबी रेखा से बाहर आए लोग

नीति आयोग की राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक की रिपोर्ट  एक प्रगति समीक्षा 2023 के अनुसार भारत में 135 मिलियन लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे ज्यादा गिरावट उत्तर प्रदेश में दर्ज हुई है।

इस रिपोर्ट में आगे बताया गया था कि सरकार के प्रयासों की वजह से उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आ पाए हैं। भारत के सभी राज्य केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों की तुलना में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। यूपी के बाद बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में गिरावट देखने को मिली है।

उत्तर प्रदेश का राजस्व बढ़ा

आपको बता दें कि एक समय ऐसा भी था जब उत्तर प्रदेश को बीमारू कहा जाता था। अब उत्तर प्रदेश एक अधिशेष राज्य बन गया है। सरकार की प्रेस रिलीज के अनुसार वर्ष 2016-17 में राज्य का कर राजस्व तकरीबन 86,000 करोड़ था। वहीं, वर्ष 2021-22 में यह 71 फीसदी बढ़कर 01.47 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया।

राज्य के वैट में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। वर्ष 2016-17 में बिक्री कर यानी वैट लगभग 51,883 करोड़ रुपये था। जो पिछले वित्त वर्ष यानी वर्ष 2022-23 में 125 करोड़ रुपये को पार कर गया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में पेट्रोल, डीजल और एटीएफ वैट दरें भी कई राज्यों की तुलना में कम है। पिछले साल मई के बाद इनकी दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

आपको बता दें कि उत्तर-प्रदेश सरकार का राजकोषीय घाटा भी कम हुआ है। वर्ष 2022-23 तक एफआरबीएम एक्ट 4 फीसदी से कम 3.96 फीसदी रखने में भी कामयाब रही है। आपको बता दें कि यूपी में बजट का करीब 8 फीसदी हिस्सा कर्ज चुकाने के लिए इस्तेमाल होता था जो पिछले साल 6.5 फीसदी हो गया।

राज्य में शासन में सुधार, व्यावसायिक निर्णयों में तेजी लाने के लिए भी कार्य कर रहा है। यह राज्य  कृषि, उद्योग और सर्विस के सेक्टर में आगे है। इस वजह से सरकार का ध्यान इन सेक्टरों पर ज्यादा है। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए कई काम कर रही है।