भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का इंजन है एमएसएमई सेक्टर, लेकिन क्रेडिट गैप अब भी बड़ी चुनौती: भरत गुप्ता
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए निचले स्तर से परिवर्तन करना बेहद आवश्यक है। इस क्रम में सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्यमों को लेकर कई बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा MSME पर निर्भर है। देशभर में 1.64 करोड़ से ज्यादा MSME हैं जो कि 10 करोड़ से ज्यादा नौकरियां पैदा करते हैं।
By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Mon, 03 Jul 2023 12:03 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। MSME सेक्टर की अपार संभावनाओं को समझने व इसकी चुनौतियों और इसके विकास के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करने के लिए Jagran New Media द्वारा 'Jagran बदलाव' कॉन्क्लेव की शुरूआत की जा रही है। कॉन्क्लेव में इंडस्ट्री के एक्सपर्ट इस सेक्टर से जुड़े कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।
दिल्ली के ललित होटल में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत जागरण न्यू मीडिया के सीईओ भरत गुप्ता के भाषण से हुई। अपने भाषण में उन्होंने देश और अर्थव्यवस्था में MSME के योगदान पर रोशनी डालते हुए कई महत्वपूर्ण बातें बताईं। एक नजर डालते हैं उनके भाषण की महत्वपूर्ण बातों पर...
एमएसएमई कॉन्क्लेव बदलाव में शामिल होने वाले सभी आगंतुकों का हार्दिक स्वागत! हम आपके साथ कुछ रोमांचक तथ्य साझा कर रहे हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था पर एमएसएमई के जबरदस्त प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं।
पिछले दस वर्षों में एमएसएमई ने सकल घरेलू उत्पाद में 30 फीसद और पिछले चार वर्षों में निर्यात में 40 फीसद का योगदान किया है। इसके अतिरिक्त, कुल विनिर्माण उत्पादन में उनका हिस्सा लगभग 33 फीसद है।
मजबूती से उभर रहा भारत
भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जिसकी आबादी 1.4 अरब है। 720 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ यहां इंटरनेट इस्तेमाल करने वाली आबादी भी दुनिया में सबसे बड़ी है। इसके अलावा, भारत की 65 फीसद आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। इस तरह देखें तो भारत सबसे युवा राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है।भारत में 28 राज्य, 8 केंद्र शासित प्रदेश, 179 भाषाएं और 544 बोलियां हैं। भारत की साक्षरता दर 73% है। पुरुषों की साक्षरता 81% और महिलाओं के लिए 65% है।
मार्च 2023 में भारत की जीडीपी 3.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई और भारत ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। आईएमएफ का अनुमान है कि भारत 2027 तक 5.4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में वैश्विक रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। यह सब तभी हो सकता है जब विकास विविध, समावेशी और समान हो।