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Jet Airways की हवाई उड़ान से क्रैश लैंडिंग तक, कुछ ऐसा रहा अब तक का सफर

Jet Airways Crash Landing देश की कामयाब एयरलाइन कंपनी Jet Airways एक समय में  यह जहां कामयाब एयरलाइन कंपनी है। ऐसे में हमें जरूर समझना चाहिए कि आखिर यह कंपनी अपनी किन गलतियों की वजह से डूब गई है? आपको बता दें कि जेट एयरवेज की आखिरी उड़ान 18 अप्रैल 2019 को हुई थी। आइए कंपनी के सफर के बारे में जानते हैं। (जागरण फाइल फोटो)

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Fri, 15 Sep 2023 01:15 PM (IST)
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Jet Airways की हवाई उड़ान से क्रैश लैंडिंग तक
 नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वर्ष 2007 में शुरू हुई जेट एयरवेज (Jet Airways) का सफर शुरू हुआ था। जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल (Naresh Goyal) थे। ऐसा माना जाता है कि एयरलाइन यात्रियों को कम शुल्क में हवाई यात्रा का लुत्फ देता हैं। देश की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन कंपनी के हालात अब खराब हो गए हैं। एयरलाइन की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से कंपनी के चेयरमैन नरेश गोयल ने इस्तीफा दे दिया है।

कई लोग मानते हैं कि कंपनी के चेयरमैन के कुछ गलत फैसलों की वजह से कंपनी आज कर्ज के तले दब गई है। आपको बता दें कि नरेश गोयल ने सहारा एयरलाइंस (Sahara Airlines) को लगभग 1450 करोड़ रुपये में खरीदा था। इसे एयरलाइन सेक्टर में सबसे बड़ा सौदा माना जाता है। इस डील के बाद कंपनी को फाइनेंशियल, लीगल और HR जैसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। आइए, जानते हैं कि कंपनी किस कारण की वजह से डूब गई है।  

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फ्लाइट का साइज

कंपनी ने दक्कन (Deccan Airways), इंडिगो (Indigo) और स्पाइसजेट (Spicejet) को मात देने के लिए सहारा एयरलाइन को खरीदा था। इसके बाद कंपनी ने कई प्लेन का ऑर्डर दे दिया है। ऑर्डर के बाद जो प्लेन आए थे उसमें सीटें काफी कम थी। इस वजह से कंपनी को नुकसान का सामना करना पड़ा। इसके अलावा कंपनी के प्लेन में 8 फर्स्ट क्लास की सीटें थी, इन सीटों की कई बार बुकिंग भी नहीं होती है। इस वजह से कई बार प्लेन में काफी जगह रह जाती थी और कम बुकिंग की वजह से कंपनी को घाटा हो रहा था।

नरेश गोयल लेते थे खुद फैसले

कई लोग मानते हैं कि कंपनी के चेयरमैन अधिकारियों और कर्मचारियों पर भरोसा नहीं करते थे। ऐसे में जेट एयरवेज चलाने के लिए नियुक्त किए गए अधिकारी कोई फैसला नहीं ले पाते थे। कंपनी के सारे फैसले नरेश गोयल ही लेते थे। जब कंपनी कर्ज के बोझ में दबने लग गई थी तो कंपनी के चेयरमैन अपने फाइनेंशियल एडवाइजर्स दीपक पारेख से मिले। दीपक द्वारा दिये गए सुझाव को भी नरेश गोयल ने अनसुना कर दिया।

कुछ सालों के बाद टाटा ग्रुप (Tata Group) जेट एयरवेज को खरीदने का प्रस्ताव देते हैं। इस प्रस्ताव पर भी नरेश गोयल सहमत नहीं होते हैं। ऐसे में टाटा ग्रुप ने अपने हाथ खींच लिये। इसका परिणाम यह हुआ कि कंपनी और कर्ज के बोझ में दब गई है।

कंपनी के खिलाफ दर्ज हुई  FIR

वर्ष नवंबर 2022 में कंपनी के खिलाफ एक  FIR दर्ज हुई। यह  FIR केनरा बैंक (Canara Bank) के अधिकारियों ने जेट एयरवेज के नरेश गोयल, अनीता गोयल, गौरंग आनंद शेट्टी और कई लोगों पर किया। इसके बाद कंपनी के चेयरमैन को ईडी (ED) ने बुलाया था। आज के समय में नरेश गोयल समेत कई लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी मामला दर्ज किया गया।  

जेट एयरवेज का किराया

कंपनी हमेशा से बड़े वर्ग को सुविधा देती है। कंपनी की हवाई टिकट बाकी एयरलाइंस के मुताबिक महंगी थी। यह भी एक वजह थी कि ग्राहक जेट एयरवेज की जगह बाकी एयरलाइन को सिलेक्ट करते थे। ऐसे में कंपनी को एक सीट पर 1 रुपये से 50 पैसे तक का नुकसान का सामना करना पड़ा। इस वजह से कंपनी हर दिन घाटे में पहुंच गई। कंपनी के वित्तीय नुकसान का असर कंपनी के शेयर पर भी देखने को मिला। खबर लिखते वक्त जेट एयरवेज के शेयर (Jetairways Share Price) 53.75  रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा था।

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जेट एयरवेज पर कितना है कर्ज

कई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जेट एयरवेज ने 25 बैंकों से कर्ज लिया है। अभी भी कंपनी 8,500 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ से दबी है। कंपनी ने सहारा एयरलाइंस को खरीदते वक्त कैश में डील की थी। कंपनी ने लीज का किराया नहीं चुकाया उसके बाद जेट एयरवेज 17 अप्रैल 2019 में ग्राउंडेड हो गई। अब कंपनी के चेयरमैन पर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले चल रहे हैं।