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11 सितंबर तक ED की हिरासत में ही रहेंगे जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल, 538 करोड़ के लोन धोखाधड़ी का है आरोप

जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल 11 सितंबर तक ईडी की हिरासत में रहेंगे। नरेश गोयल लगभग 538.62 करोड़ के कथित केनरा बैंक लोन धोखाधड़ी का आरोप है। गोयल के वकील ने आज अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें अपनी दवाएं घर का बना भोजन और गद्दे रखने की अनुमति दी जाए क्योंकि वह पीठ दर्द और अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं जिस पर अदालत ने सहमति दे दी।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Sat, 02 Sep 2023 07:14 PM (IST)
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नरेश गोयल पर केनरा बैंक के लगभग 538.62 करोड़ रुपये के कथित लोन धोखाधड़ी से जुड़े होने का आरोप है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल 11 सितंबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में रहेंगे। नरेश गोयल पर केनरा बैंक के लगभग 538.62 करोड़ रुपये के कथित लोन धोखाधड़ी से जुड़े होने का आरोप है।

गोयल के वकील ने आज अदालत से यह कहते हुए अनुरोध किया कि उन्हें दवाएं, घर का खाना और एक गद्दा हिरासत में लेने की अनुमति दी जाए, क्योंकि वह पीठ दर्द और अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

कल किया गया था एरेस्ट

आपको बता दें कि ईडी ने कल यानी शुक्रवार को गोयल को अपना बयान देने के लिए मुंबई के कार्यालय में उपस्थित होने का अनुरोध किया गया था। इसके बाद पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया।

कौन-कौन है आरोपी?

प्रवर्तन निदेशालय की जांच मई में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा शुरू किए गए एक मामले से शुरू हुई है। इस मामले में आरोपी व्यक्तियों में कंपनी, गोयल, उनकी पत्नी अनीता नरेश गोयल और गौरांग आनंद शेट्टी शामिल हैं।

आरोपों के मुताबिक कंपनी को शुरुआत में विभिन्न उद्देश्यों के लिए 126 करोड़ रुपये की वर्किंग कैपिटल लिमिट और 100 करोड़ रुपये की अंतर्देशीय क्रेडिट पत्र/वित्तीय बैंक गारंटी लिमिट दी गई थी।

इसके अलावा, कंपनी को परिचालन खर्चों के लिए टर्म लोन के रूप में 400 करोड़ रुपये मिले, साथ ही विमान के पुनर्निर्माण, नए मार्गों की शुरूआत, व्यापार संवर्धन और संबंधित गतिविधियों के लिए 200 करोड़ रुपये मिले। इसके अलावा, कंपनी को 17.52 करोड़ रुपये का शॉर्ट टर्म लोन प्राप्त हुआ।

एफआईआर के मुताबिक अगस्त 2018 से, कंपनी ने दावा करना शुरू कर दिया था कि वह तरलता और परिचालन चुनौतियों का सामना कर रही है और भुगतान दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ है।

अक्टूबर 2018 में, देनदारों ने अंतर-लेनदार समझौते के प्रावधानों को लागू किया, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक को प्रमुख देंनदार के रूप में नामित किया गया।