Jio फाइनेंशियल्स को कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी बनने के लिए RBI की मिली मंजूरी, जानें डिटेल
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जियो फाइनेंशियल सर्विसेज को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) से कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (CIC) में बदलने की मंजूरी मिल गई है। एक आधिकारिक बयान में कहा कि 21 नवंबर 2023 के खुलासे के अनुसार कंपनी को आज भारतीय रिजर्व बैंक से कंपनी को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी से कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी में बदलने की मंजूरी मिल गई है।
आईएएनएस, नई दिल्ली। जियो फाइनेंशियल सर्विसेज ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) से कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (CIC) में बदलने की मंजूरी हासिल कर ली है। यह कदम कंपनी के फोकस में रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है।
अब सवाल उठता है कि कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (CIC) क्या है। ये RBI द्वारा परिभाषित CIC एक विशेष NBFC है, जिसका न्यूनतम परिसंपत्ति( Asset) आधार 100 करोड़ रुपये है। RBI के दिसंबर 2016 के परिपत्र में सका प्राथमिक कार्य, विशिष्ट शर्तों के अधीन, शेयरों और प्रतिभूतियों का अधिग्रहण और प्रबंधन है।
जियो फाइनेंशियल के लिए CIC संरचना के लाभ
CIC की शुद्ध परिसंपत्तियों का कम से कम 90% समूह कंपनियों के भीतर इक्विटी शेयरों, वरीयता शेयरों, बॉन्ड, डिबेंचर, लोन या निवेश किया जाना चाहिए।यह बदलाव जियो फाइनेंशियल सर्विसेज को अपनी सहायक कंपनियों के निवेश और प्रबंधन को प्राथमिकता देने और ऑपरेशन को सुव्यवस्थित करने की अनुमति देता है।सीआईसी संरचना हर सहायक कंपनी के लिए वित्तीय सुविधा देती है, जो खासकर उस कंपनी के लिए अलग से होती है। इससे बेहतर निवेशक मूल्य पहचान हो सकती है।
पारंपरिक एनबीएफसी के विपरीत, सीआईसी डिपॉजिट स्वीकार नहीं करते हैं, जिससे जियो फाइनेंशियल को मुख्य निवेश गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है।एक सीआईसी के रूप में, कंपनी को नए क्षेत्रों की खोज करने और अपने निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने की स्वतंत्रता मिलती है, जो बाजार की बदलती गतिशीलता के अनुकूल है। यह भी पढ़ें - NITI Aayog के सदस्य ने कहा- 7 फीसदी की दर से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था