Credit Card EMI: त्योहारी सीजन में आपको मिलेंगे ढेर सारे ऑफर्स, नुकसान से बचना है तो सोच-समझकर करें शॉपिंग
Credit Card से ईएमआई के जरिए शॉपिंग करते समय हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। कभी भी अधिक डिस्काउंट के लालच में ऐसे प्रोडक्ट को नहीं खरीदना चाहिए जिसकी ईएमआई के भुगतान में आपको मुश्किलों का सामना करना पडे़।
By Abhinav ShalyaEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 07:49 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है। ऑनलाइन कंपनियों की ओर से ग्राहकों को अभी से तरह-तरह के ऑफर्स दिए जाने लगे हैं। सबसे अधिक ऑफर क्रेडिट कार्ड ईएमआई को लेकर दिए जाते हैं। जब भी महंगा प्रोडक्ट लेने की बात आती है और बजट लिमिटेड होता है, तो ईएमआई हमारे सामने एक अच्छा विकल्प होता है। इसकी मदद से आप भारी बिल को आसानी से छोटी-छोटी किस्तों में अपनी सुविधा के अनुसार चुका सकते हैं।
लेकिन अगर आप बिना सोचे समझे क्रेडिट कार्ड से ईएमआई का विकल्प चुनते हैं, तो ये आपको भारी पड़ सकता है। ऐसे में क्रेडिट कार्ड से ईएमआई का विकल्प चुनते समय आपको उसके बारे में पूरी जानकारी जुटा लेनी चाहिए।
कैसे काम करती है क्रेडिट कार्ड ईएमआई
क्रेडिट कार्ड से ईएमआई के जरिए खरीदारी करने के दो तरीके होते हैं। पहला तो यह है कि ई-कॉमर्स और व्यापारी द्वारा ही आपके बिल को छोटी-छोटी किस्तों में बांट दिया जाता है। दूसरे में क्रेडिटकार्ड धारक अपने बकाया बैलेंस को क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनी से ईएमआई में बदलने के लिए आवेदन करता है।इसमें क्रेडिट कार्ड कंपनी की ओर से बकाया राशि को ईएमआई में बांट दिया जाता है। इसके लिए कंपनी की ओर से एक निर्धारित ब्याज लिया जाता है।बता दें, ब्याज के निर्धारण में ग्राहक के क्रेडिट स्कोर की अहम भूमिका होती है। यह जितना अच्छा होगा, कंपनी की ओर से कम ब्याज लेने की संभावना अधिक होगी। दोनों ही प्रक्रिया में कंपनी की ओर से प्रोसेसिंग फीस और भुगतान में देरी करने पर लेट पेमेंट फीस ली जाती है।
क्रेडिट कार्ड ईएमआई के फायदे
- क्रेडिट कार्ड ईएमआई का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके जरिए बड़ी आसानी से आप किसी भी महंगे प्रोडक्ट को खरीद सकते हैं। इसका बिल आपको छोटे-छोटे भागों में ईएमआई के जरिए करना होता है।
- इसमें यूजर अपनी सुविधा के अनुसार 3 से 36 महीने का विकल्प चुन सकते हैं।
- इसमें एक अन्य बड़ा फायदा यह है कि यूजर नो कॉस्ट ईएमआई का विकल्प चुन सकता है, जिससे उसे केवल प्रोडक्ट की कीमत ही ईएमआई के रूप में देनी पड़ती है।