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Tax Deduction: टैक्सपेयर डोनेशन पर ले सकता है टैक्स डिडक्शन का फायदा; इन शर्तों के साथ कर सकते हैं क्लेम

अगर आप डोनेशन करते हैं तो टैक्स डिडक्शन का फायदा उठाया जा सकता है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80G के तहत डोनेशन पर टैक्स डिडक्शन का फायदा मिलता है। इस सेक्शन के तहत अगर आप अलग-अलग फंड और चैरिटी संस्थाओं को दान देते हैं तो टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं। यह शेयर डोनेशन पर आधारित होता है।

By Shivani Kotnala Edited By: Shivani Kotnala Updated: Sun, 28 Jan 2024 03:30 PM (IST)
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Tax Deduction: टैक्सपेयर डोनेशन पर ले सकता है टैक्स डिडक्शन का फायदा
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अगर आप डोनेशन करते हैं तो टैक्स डिडक्शन का फायदा उठाया जा सकता है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80G के तहत डोनेशन पर टैक्स डिडक्शन का फायदा मिलता है।

इस सेक्शन के तहत अगर आप अलग-अलग फंड और चैरिटी संस्थाओं को दान देते हैं तो टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं।

कितनी राशी का मिलता है फायदा

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80G के तहत डोनेशन पर टैक्स डिडक्शन का फायदा 50 प्रतिशत या 100 प्रतिशत लिया जा सकता है। यह शेयर डोनेशन पर आधारित होता है।

हालांकि, इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80G के तहत डोनेशन को लेकर कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जाना भी जरूरी होगा-

डोनेशन के लिए ये बातें जरूरी

  • भोजन, कपड़े, दवाइयां आदि के लिए किया गया दान 80G सेक्शन के तहत टैक्स कटौती के लिए मान्य नहीं होते हैं।
  • 2,000 रुपये से अधिक का नकद दान भी 80G सेक्शन के तहत टैक्स कटौती के लिए मान्य नहीं होता है।
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डोनेशन का प्रमाण पत्र है जरूरी

टैक्सपेयर अगर डोनेशन पर टैक्स डिडक्शन का फायदा लेना चाहते हैं तो इसके लिए Form 10BE में डोनेशन का सर्टिफिकेशन पाना जरूरी है।

इसमें दान लेने वाली संस्था की जानकारियां शामिल होती हैं। इन जानकारियों में पैन, संस्था का नाम, सेक्शन जिसके तहत डोनेशन उपलब्ध है, डोनेशन की राशी और डोनर की डिटेल्स शामिल होती हैं।

टैक्सपेयर के लिए जरूरी है कि वे ऐसे डोनेशन के प्रमाण सुरक्षित रखें। इसके लिए संस्था से प्राप्त डोनेशन रिसिप्ट को संभाल कर सकते हैं।

इस रिसिप्ट में संस्थान का नाम और पता, दानकर्ता का नाम, राशि और आयकर विभाग द्वारा जारी पंजीकरण संख्या जैसी जानकारियां होना जरूरी है।

किसी भी संभावित मुकदमे की स्थिति में डोनेशन का यह प्रमाण देना जरूरी हो सकता है। इसके अलावा, टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न में नाम, पैन, रिसीवर का पता और राशि के बारे में जानकारीयां देना जरूरी है।