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Services Sector Growth : फरवरी में सर्विसेज सेक्टर की ग्रोथ सुस्त, जानिए सेल्स और रोजगार के मोर्चे पर कैसा रहा हाल?

HSBC इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स के अनुसार देश के सर्विसेज सेक्टर की ग्रोथ जनवरी के मुकाबले फरवरी में सुस्त रही। यह इंडेक्स फरवरी में 60.6 रहा जबकि जनवरी में 61.8 था। बिजनेस एक्टिविटी सेल्स और जॉब में ज्यादा ग्रोथ ना होने से यह गिरावट दिखी। कंपनियों को आने वाले समय में बिजनेस में ज्यादा ग्रोथ की संभावना नहीं है। इसलिए वे जोखिम लेने से बच रही हैं।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 05 Mar 2024 01:39 PM (IST)
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फरवरी में जॉब ग्रोथ भी कम रही।
पीटीआई, नई दिल्ली। देश के सर्विसेज सेक्टर की ग्रोथ जनवरी के मुकाबले फरवरी में सुस्त रही। यह एक प्राइवेट मंथली सर्वे में सामने आई है। HSBC इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स फरवरी में 60.6 रहा, जबकि जनवरी में ये 61.8 था। इसकी वजह बिजनेस एक्टिविटी, सेल्स और जॉब में ज्यादा ग्रोथ ना होना रही।

परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) की जबान में, 50 से ऊपर मतलब वृद्धि है। वहीं, 50 से नीचे का स्कोर कमजोर प्रदर्शन को दर्शाता है।

HSBC के इकोनॉमिस्ट Ines Lam का कहना है कि भारत के सर्विसेज PMI से जाहिर होता है कि जनवरी की तुलना में फरवरी में सेक्टर का प्रदर्शन सुस्त हो गया। हालांकि, यह ऐतिहासिक रूप से मजबूत बना रहा।

कंपनियों का बिजनेस कॉन्फिडेंस कमजोर 

भारत में सर्विसेज कंपनियों के साथ विदेश से मिले नए बिजनेस में लगातार 13वें महीने बढ़ोतरी हुई। सर्वे बताता है कि सेक्टर को ऑस्ट्रेलिया, एशिया, यूरोप, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात से लाभ हुआ। फरवरी में आने वाले समय के लिए बिजनेस कॉन्फिडेंस कमजोर हुआ है। फिर भी सिर्फ 2 फीसदी कंपनियों को कारोबार में गिरावट की आशंका है।

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इकोनॉमिस्ट Ines Lam ने कहा, 'नए ऑर्डर और आउटपुट में सुस्ती के चलते भविष्य की कारोबारी गतिविधियों के लिए कंपनियों का नजरिया थोड़ा कमजोर जरूर हुआ है, लेकिन यह अभी भी सकारात्मक ही है।' उन्होंने आगे कहा कि इनपुट प्राइस इंफ्लेशन कम होने के कारण सर्विसेज के लिए चार्ज की जाने वाली कीमतें 24 महीनों में सबसे धीमी दर से बढ़ीं।

रोजगार के मोर्चे पर भी नहीं आई अच्छी खबर

रोजगार के मोर्चे पर भी फरवरी में कोई खास अच्छी खबर नहीं आई। कंपनियों ने कामकाज बढ़ने की वजह से नौकरियां जरूर बढ़ाईं। लेकिन, कैपिसिटी प्रेशर कम था और आउटलुक को लेकर उनका कॉन्फिडेंस हिला हुआ था। इसके चलते रोजगार की ग्रोथ कम हो गई।

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