लैब में बना सबसे बड़ा डायमंड बेचकर देश में इस ज्वैलर ने बनाया रिकॉर्ड, जानें कुदरती हीरे से कैसे हैं अलग
कृष्णैया चेट्टी ग्रुप ऑफ ज्वैलर्स ने लैब में तैयार सबसे बड़ा डायमंड बेचकर खास रिकॉर्ड बनाया है। यह 20.06 कैरेट का एमरल्ड-कट रत्न है। लैब में तैयार हो रहे डायमंड जहां दिखने में ऑरिजनल हीरे की तरह होते हैं। इसके साथ ही इनकी कीमत 20 से 30 प्रतिशत तक कम होती है जिसके चलते इनका ट्रेंड तेजी से बढ़ा रहा है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। लैब तैयार डायमंड कुदरती हीरों को जबरदस्त टक्कर दे रहे हैं। लैब में तैयार हो रहे डायमंड जहां दिखने में ऑरिजनल हीरे जैसे होते हैं, लेकिन इनकी कीमत 20 से 30 प्रतिशत तक कम होती है, जिसके चलते इनका ट्रेंड तेजी से बढ़ा रहा है।
लैब में बना सबसे बड़ा डायमंड
कृष्णैया चेट्टी ग्रुप ऑफ ज्वैलर्स ने लैब में तैयार सबसे बड़ा डायमंड बेचकर खास रिकॉर्ड बनाया है। यह 20.06 कैरेट का एमरल्ड-कट रत्न है। एमरल्ड-कट आमतौर पर आयताकार साइज में कटा हुआ होता है। यह डायमंड F कलर ग्रेड और VS1 क्लैरिटी के साथ आता है।
क्या है F कलर ग्रेड और VS1 क्लैरिटी?
F कलर ग्रेड से पता चलता है कि लैब में तैयार किया गया यह डायमंड लगभग रंगहीन है, जिसमें रंग के कम से कम निशान दिखाई देते हैं। इसके साथ VS1 क्लैरिटी इस डायमंड के छोटे क्रिस्टल, बादल या पंख जैसे बहुत ही मामूली समावेशन को दर्शाता है जिन्हें पहचानना लगभग मुश्किल है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि इस डायमंड में असाधारण क्लैरटी और चमक है।
लैब में कैसे बनते हैं हीरे
कुदरती हीरे और लैब में तैयार डायमंड दोनों ही एक जैसे होते हैं। प्राकृतिक रूप से हीरे को बनने में करोड़ों साल लग जाते हैं। लेकिन लैब में डायमंड सिर्फ 1 से 4 हफ्तों में तैयार हो जाता है। आर्टिफिशयल हीरे को तैयार करने के लिए लैब में पृथ्वी के आंतरिक कोर जैसा इन्वायरमेंट तैयार किया जाता है।
लैब में इसके लिए हाई प्रेशर - हाई टेंप्रेचर प्रोसेस के जरिए हीरे तैयार किए जाते हैं। इसके बाद तैयार डायमंड की कटिंग और पॉलिश किया जाता है। डायमंड इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि प्राकृतिक और लैब में तैयार हीरों में अंतर करना मुश्किल है। आमतौर पर लैब में बने हीरों को सर्टिफिकेट के साथ बेचा जाता है।
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कुदरती और लैब में तैयार हीरों में अंतर
लैब में तैयार और कुदरती हीरों के बीच मुख्य अंतर उनके बनने का प्रोसेस है। लैब में नियंत्रित वातावरण में कार्बन सीड या ग्रेफाइड को हाई प्रेशर - हाई टेंप्रेचर में रखकर आर्टिफिशियल डायमंड तैयार किया जाता है। जबकि प्राकृतिक हीरे पृथ्वी की सतह के नीचे से निकाले जाते हैं। प्राकृतिक हीरे बनने में अरबों साल लगते हैं। वहीं लैब में कुछ ही हफ्तों में इन्हें तैयार किया जा सकता है।
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