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LIC Share: एलआईसी को मिली बड़ी राहत, SEBI के फैसले के बाद 5 फीसदी उछल गए शेयर

LIC Share Update आज एलआईसी के शेयर में तेजी देखने को मिली है। दरअसल सेबी (SEBI-Securities and Exchange Board of India) ने एलआईसी को मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम को पूरा करने के लिए 3 साल का अतिरिक्त समय दिया है। अभी एलआईसी में सरकार की 96.5 फीसदी हिस्सेदारी है। एलआईसी को 2032 तक कंपनी में 25 फीसदी तक का पब्लिक शेयर होल्डिंग करना होगा।

By Agency Edited By: Priyanka Kumari Updated: Wed, 15 May 2024 02:05 PM (IST)
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LIC Share: एलआईसी को मिली बड़ी राहत
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत जीवन बीमा निगम (LIC-Life Insurance Corporation of India) को सेबी द्वारा राहत मिली है। सेबी ने एलआईसी को MPS (Minimum shareholding pattern) को पूरा करने के लिए 3 साल का अतिरिक्त समय दिया है। इससे पहले वित्त मंत्रालय ने एलआईसी को मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग जो 25 फीसदी है उसे पूरा करने के लिए 10 साल का समय दिया था।

अब कंपनी को मई 2032 तक मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग करना होगा। सेबी (SEBI-Securities and Exchange Board of India) से मिली राहत के बाद एलआईसी के शेयर में तेजी देखने को मिली। कंपनी के शेयर 5 फीसदी तक चढ़ गए।

खबर लिखते वक्त एलआईसी के शेयर 975.50 रुपये प्रति शेयर पर ट्रेड कर रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही कंपनी के शेयर 1000 रुपये हो जाएंगे।

सेबी ने एलआईसी को क्यों दी राहत

सेबी के नियमों के अनुसार एलआईसी को 25 फीसदी तक का मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग नियमों का पूरा करना है। एलआईसी के आईपीओ के जरिये सरकार ने 22.13 करोड़ से ज्यादा की हिस्सेदारी बेची थी। यह कंपनी की लगभग 3.5 फीसदी हिस्सेदारी होती है। इसके बाद कंपनी में सरकार की 96.5 फीसदी हिस्सेदारी है।

सेबी के नियमों के अनुसार कंपनी में छोटे निवेशकों की कुल 25 फीसदी हिस्सेदारी होनी चाहिए।

क्या होता है मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम

जब कोई कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है तो उसके दो हिस्सेदार होते हैं। एक कंपनी का मालिक या प्रमोटर होता है और दूसरा पब्लिक यानी वो निवेशक जो कंपनी के शेयर खरीदते हैं।

आपको बता दें कि कंपनी को प्रमोट करने या फिर शुरू करने में जो लोग शामिल होते हैं उसे प्रमोटर कहते हैं। सेबी के नियमों के अनुसार कंपनी में प्रमोटर की हिस्सेदारी 65 फीसदी से ज्यादा हो सकती है, लेकिन आम निवेशक की 25 फीसदी हिस्सेदारी होनी चाहिए। इसका मतलब है कि प्रमोटर की हिस्सेदारी 75 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

जब कभी किसी कंपनी में प्रमोटर की हिस्सेदारी 75 फीसदी से ज्यादा हो जाती है तो सेबी कंपनी को मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम को पूरा करने के लिए समय देती है। इस समय के भीतर कंपनी को यह काम करना होता है। अगर कंपनी समय के भीतर इस काम को पूरा नहीं करता है तब सेबी उनके खिलाफ एक्शन ले सकता है।