LPG Price Hike: होली से पहले महंगी हुई गैस, घरेलू और कमर्शियल सिलेंडर के दाम में बढ़ोतरी
LPG Cylinder New Rate मार्च के पहले दिन उपभोक्ताओं को महंगाई का बड़ा डोज मिला है। महीने के पहले दिन ही एलपीजी सिलेंडर के दाम बढ़ गए हैं। आप भी गैस सिलेंडर लेने से पहले अपने शहर का रेट पता कर लें।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Wed, 01 Mar 2023 07:30 AM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। LPG Price Hike: होली से पहले तेल कंपनियों ने उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका देते हुए गैस के दाम बढ़ा दिए हैं। कमर्शियल और घरेलू दोनों गैस सिलेंडर के दाम बढ़ गए हैं। घरेलू गैस के दाम आठ महीने के बाद बढे़ हैं। घरेलू सिलेंडर के रेट में 50 रुपये का इजाफा किया गया है, वहीं कमर्शियल सिलेंडर के दाम 350 रुपये से अधिक बढ़े हैं।
आपको बता दें कि पिछले महीने गैस की कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी। कमर्शियल गैस सिलेंडर हाल के महीनों में लगातार सस्ता हो रहा था। जहां तक रसोई गैस की कीमतों का सवाल है, 6 जुलाई 2022 के बाद से ही घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम स्थिर थे। अब दो महीने के बाद कमर्शियल गैस सिलेंडर के दाम में एक साथ 350 रुपये की बढ़ोतरी हो गई है।
क्या है गैस सिलेंडर की नई कीमत
LPG Cylinder New Rate दाम बढ़ने के बाद दिल्ली में कमर्शियल LPG सिलेंडर 1769 रुपये की जगह अब 2119.5 रुपये में मिलेगा। कोलकाता में इसकी कीमत 1870 रुपये से बढ़कर अब 2221.5 रुपये हो गई है। मुंबई में गैस सिलेंडर 1721 रुपये से बढ़कर अब 2071.50 रुपये का हो गया है। चेन्नई में सिलेंडर अब 2268 रुपये में मिलेगा, पहले यह 1917 रुपये का था।
घरेलू सिलेंडर का नया रेट
दिल्ली में 14.2 किलो वाला घरेलू एलपीजी सिलेंडर 1053 की जगह आज से 1103 रुपये में मिलेगा। इसकी कीमत मुंबई में 1052.50 की जगह 1102.5 रुपये होगी। अगर कोलकाता की बात करें तो में 1079 की जगह अब सिलेंडर 1129 रुपये में आएगा। चेन्नई में यह 1068.50 रुपये की जगह 1118.5 रुपये में मिलेगा।
स्थानीय करों के कारण घरेलू रसोई गैस की कीमतें एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न होती हैं। खुदरा ईंधन विक्रेता हर महीने की शुरुआत में एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बदलाव करते हैं। सरकार रियायती दरों पर पात्र परिवारों को 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर उपलब्ध कराती है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना के तहत उपभोक्ताओं को रियायती दर पर एलपीजी सिलेंडर मिलते हैं। हालांकि सब्सिडी विदेशी मुद्रा दरों, कच्चे तेल की कीमतों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है।