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एजुकेशन लोन भर नहीं पा रहे स्टूडेंट, बैंकों का फंस रहा पैसा; आखिर कहां आ रही दिक्कत

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़े बताते हैं कि एजुकेशन लोन का NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) काफी अधिक हो गया है। इसका मतलब कि एजुकेशन लोन लेने वाले बहुत-से छात्र कर्ज वापस नहीं कर पा रहे हैं। क्रेडिट कार्ड को सबसे जोखिम भरा कर्ज माना जाता है। लेकिन एजुकेशन लोन का एनपीए क्रेडिट कार्ड वाले कर्ज के मुकाबले दो गुना हो गया है।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 01 Jul 2024 08:33 AM (IST)
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भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए कनाडा को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत में बहुत-से छात्र अपने सपने को पंख लगाने के लिए एजुकेशन लोन का सहारा लेते हैं। इनमें खासकर वे स्टूडेंट शामिल होते हैं, जो हायर स्टडी के लिए विदेश जाना चाहते हैं। कई स्टूडेंट को विदेश में पढ़ाई के बाद मनपसंद नौकरी मिल जाती है और उनके ख्वाब पूरे हो जाते हैं। लेकिन, कई ऐसे भी होते हैं, जिन्हें विदेशी डिग्री के बावजूद अच्छी नौकरी नहीं मिलती। ऐसे में उनके लिए अपना मोटा एजुकेशन लोन चुका पाना काफी मुश्किल हो जाता है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़े बताते हैं कि एजुकेशन लोन का NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) काफी अधिक हो गया है। इसका मतलब कि एजुकेशन लोन लेने वाले कई छात्र कर्ज वापस नहीं कर पा रहे हैं। क्रेडिट कार्ड को सबसे जोखिम भरा कर्ज माना जाता है, क्योंकि इसमें कोई गारंटी नहीं होती। लेकिन, एजुकेशन लोन का एनपीए क्रेडिट कार्ड वाले कर्ज के मुकाबले दो गुना और हाउसिंग लोन की तुलना में तीन गुना अधिक हो गया है। पर्सनल लोन की बात करें, तो एजुकेशन लोन का एनपीए सबसे अधिक है, 3.6 फीसदी।

किस लोन में कितना NPA

कर्ज  NPA
एजुकेशन लोन  3.6%
क्रेडिट कार्ड  1.8%
ऑटो लोन  1.3%
हाउसिंग लोन  1.1%

विदेश में कहां पढ़ रहे छात्र?

नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) का डेटा बताता है कि भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए कनाडा को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। पिछले दो दशक में कनाडाई यूनिवर्सिटीज में भारतीय छात्रों का दाखिला 5,800 फीसदी से अधिक बढ़ा है। वहीं, अमेरिका के लिए 2000 और 2021 के बीच यह बढ़ोतरी सिर्फ 45 फीसदी रही। यह चीज इसलिए भी हैरान करती है, क्योंकि दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित टॉप 20 यूनिवर्सिटीज की बात करें, तो उसमें 7 अमेरिका की है। इस लिस्ट में कनाडा ऐसा प्रभाव बनाने में नाकाम रहा।

अगर इन दोनों देशों के अलावा बात करें, तो भारतीय छात्र न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटीज में पढ़ना भी पसंद करते हैं। मेडिकल स्टूडेंट की बात करें, तो उनके लिए चीन भी एक अच्छा विकल्प है, जहां फीस सस्ती है और दाखिला भी आसानी से मिल जाता है।

किस लोन में कितना उछाल

कर्ज  मार्च में उछाल
हाउसिंग लोन  36.5%
क्रेडिट कार्ड  25.2%
एजुकेशन लोन  20.5%
ऑटो लोन  18.3%
अन्य लोन  19.9%

नौकरी में कहां दिक्कत?

2023 में भारत के 13 लाख से अधिक छात्र अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में हायर स्टडी के लिए गए। अगर दुनियाभर के कुल विदेशी छात्रों का आंकड़ा देखें, तो इसमें भारतीय छात्रों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, करीब 19 फीसदी। इस साल भारतीय छात्रों ने विदेश में पढ़ने पर करीब 5 हजार करोड़ रुपये खर्च किया। अगले साल यानी 2025 तक यह रकम बढ़कर 6 हजार करोड़ पहुंच सकती है।

हालांकि, एजुकेशन एक्सपर्ट का कहना है कि विदेश में STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स की पढ़ाई न करने वाले भारतीय छात्रों को जॉब मिलने में परेशानी होती है। ऐसे में अगर उन्होंने एजुकेशन लोन ले रखा है, तो उनकी दिक्कतें काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं। यही वजह है कि एजुकेशन एक्सपर्ट सुझाव दे रहे हैं कि अब STEM के बाहर की पढ़ाई को बढ़ावा नहीं देना चाहिए, क्योंकि बाकी कैटेगरी के छात्रों को वर्क परमिट नहीं मिलेगा और फिर उन्हें मजबूरन वापस लौटना होगा।

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