भारत और यूरोपीय संघ में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से कई सेक्टरों को होगा लाभ, देश में बढ़ेगा रोजगार
भारत और यूरोपीय संघ में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से रोजगारपरक सेक्टरों को काफी लाभ होगा। वर्ष 2023 दिसंबर तक एफटीए पूरा करने का लक्ष्य है। फिलहाल अभी भारत और यूरोपीय संघ के बीच 116 अरब डॉलर का कारोबार होता है।
ब्रसेल्स, राजीव कुमार / बिजनेस डेस्क। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के समझौते में अहम भूमिका के बाद भारत ने यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ ब्रूसेल्स में मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता फिर से शुरू कर दी है। वर्ष 2013 के बाद भारत और ईयू के बीच एफटीए (Free trade agreement) को लेकर कोई वार्ता नहीं हुई है। भारत के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल व ईयू के कार्यकारी वाइस प्रेसिडेंट वाल्दिस डोमब्रोवस्किस ने बताया कि आगामी 27 जून से एक जुलाई तक नई दिल्ली में पहले चरण की वार्ता होगी।
ईयू के बाजार में हो सकेगा भारत के शुल्क मुक्त सामान का निर्यात
आपको बता दें कि ईयू भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार सहभागी है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने इससे पूर्व के वित्त वर्ष के मुकाबले 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ ईयू को 65 अरब डालर का निर्यात किया। ईयू के साथ एफटीए करने से भारत में अमेरिका व जापानी कंपनियां निवेश के लिए आ सकती है, क्योंकि ईयू के बाजार में भारत के शुल्क मुक्त सामान का निर्यात हो सकेगा। एफटीए वार्ता के साथ भारत व ईयू निवेश सुरक्षा वार्ता भी शुरू करने जा रहे है।
रोजगारपरक सेक्टरों को मिलेगा इसका लाभ
पीयूष गोयल ने बताया कि एफटीए से भारत के रोजगारपरक सेक्टर जैसे कि टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स व ज्वैलरी का निर्यात ईयू में बढ़ेगा और भारत में रोजगार का सृजन होगा। अभी ईयू के बाजार में भारतीय गारमेंट को बांग्लादेश, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है।
टेक्नोलाजी और डिजिटल दुनिया से संबंधित व्यापार में होगा समझौता
एफटीए (Free trade agreement) होने से गारमेंट व लेदर निर्यात पर लगने वाला शुल्क समाप्त हो जाएगा, जिससे ईयू के बाजार में भारतीय वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी। इसके अलावा भारत टेक्नोलाजी, डिजिटल दुनिया से संबंधित चीजों के साथ एआई पर ईयू के साथ व्यापार समझौता कर सकता है। ब्रूसेल्स में मौजूद भारत के अधिकारियों ने बताया कि ईयू के साथ एफटीए होने से भारत की ब्रांडिंग का स्तर काफी बढ़ जाएगा और दुनिया के सभी देश पहले के मुकाबले भारतीय उत्पादों पर अधिक भरोसा करने लगेंगे। भारत इस साल जुलाई के आखिरी सप्ताह में कनाडा के साथ भी एफटीए वार्ता आरंभ करने जा रहा है।