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चुनाव में मुफ्त की रेवड़ी के बीच बजट में मध्यमवर्ग को मिल सकती है राहत, वेतनभोगियों का बोझ करने पर विचार कर रही सरकार

वित्त मंत्रालय इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहा है। चालू वित्त वर्ष से टैक्स की नई व्यवस्था के तहत वेतनभोगियों को 75000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा। सालाना सात लाख रुपए तक कमाने वालों को नई व्यवस्था के तहत कोई टैक्स नहीं देना होगा। मध्यमवर्ग में वेतनभोगियों की संख्या सबसे अधिक है जो टैक्स का भुगतान करते हैं।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 22 Nov 2024 05:45 AM (IST)
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नई व्यवस्था के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही सरकार (फोटो-एक्स)
 राजीव कुमार, नई दिल्ली। राज्यों के चुनाव में मुफ्त की रेवड़ी संस्कृति को अब सभी पार्टी गले से लगा चुकी है। इससे राज्यों के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ने के साथ यह भी संदेश जा रहा है कि मध्यमवर्ग से टैक्स वसूल कर चुनाव जीतने के लिए उन पैसों को मुफ्त की रेवड़ी के रूप में बांटा जा रहा है।

ऐसे में सरकार मध्यमवर्ग को बजट में राहत देकर उन्हें साधने की तैयारी में है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अगले वर्ष फरवरी में पेश होने वाले बजट में मध्यमवर्ग को इनकम टैक्स में सरकार राहत दे सकती है। मध्यमवर्ग में वेतनभोगियों की संख्या सबसे अधिक है जो इनकम टैक्स का भुगतान करते हैं।

दस लाख कमाई वाले आईटीआर की संख्या 2.79 करोड़ रही

वित्त वर्ष 2023-24 में आठ करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न में सालाना पांच से दस लाख कमाई वाले आईटीआर की संख्या 2.79 करोड़ रही तो 10-20 लाख आय वर्ग के आईटीआर की संख्या 89 लाख रही। यानी कि इनकम टैक्स में राहत का फैसला लगभग इन तीन करोड़ टैक्सपेयर्स को ध्यान में रखकर लिया जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक राहत देने के लिए वित्त मंत्रालय इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहा है। चालू वित्त वर्ष से टैक्स की नई व्यवस्था के तहत वेतनभोगियों को 75,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा। सालाना सात लाख रुपए तक कमाने वालों को नई व्यवस्था के तहत कोई टैक्स नहीं देना होगा।

बजट में वेतनभोगियों के लिए हो राहत

सूत्रों के मुताबिक आगामी बजट में वेतनभोगियों के लिए इस डिडक्शन को बढ़ाकर एक लाख तक किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि इनकम टैक्स में कोई भी राहत सरकार नई व्यवस्था के तहत ही देगी क्योंकि टैक्स की पुरानी व्यवस्था को सरकार हतोत्साहित करना चाहती है। इसका संकेत वित्त मंत्रालय की तरफ से कई मौके पर दिए जा चुके हैं।

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव में मुफ्त की रेवड़ी की घोषणा पर केंद्र व चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। हरियाणा के बाद महाराष्ट्र व झारखंड दोनों ही राज्यों के चुनाव में सभी प्रमुख पार्टियों ने मुफ्त गैस सिलेंडर, लोन माफी, बेरोजगारी भत्ता, महिलाओं को वित्तीय प्रोत्साहन, मुफ्त यात्रा जैसी घोषणाएं की है।

मुफ्त की रेवड़ी बांटने से विकास का काम बाधित होता है

विशेषज्ञों के मुताबिक इस प्रकार की मुफ्त की रेवड़ी बांटने से विकास का काम बाधित होता है। सरकार इंफ्रा व सामाजिक विकास के मद का पैसा मुफ्त की रेवड़ी पर खर्च करती है। दूसरी तरफ, मध्यम वर्ग खासकर वेतनभोगियों के बीच यह धारणा बन रही है कि सरकार सिर्फ उनसे टैक्स वसूलती है। मध्यमवर्ग के बीच फैल रही इस धारणा को समाप्त करने के लिए हाल ही टैक्स विभाग की तरफ से पिछले दस वर्षों में मध्यम वर्ग को टैक्स में मिलने वाली राहत के आंकड़े जारी किए गए।