कोल गैसिफिकेशन पर देश की पहली पायलट परियोजना की हुई शुरुआत, ऊर्जा सुरक्षा के लिए इसकी हो सकती है अहम भूमिका
देश की कोयला खदानों से गैस निकालने को लेकर वर्ष 2016 में सरकार ने एक विस्तृत नीति की घोषणा की थी। इसको लेकर कंपनियों की तरफ से खास रुचि नहीं दिखाने के बाद वर्ष मई 2020 में कंपनियों के लिए इसे और आकर्षक बनाने का ऐलान किया गया। इसका भी असर नहीं हुआ तो अगस्त 2020 में नीति आयोग में एक समिति का गठन किया गया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोयला खदानों से गैस निकालने की प्रक्रिया यानी कोल गैसिफिकेशन पर बात तो अभी तक काफी हुई है और सरकार की तरफ से नीतियां भी बनाई गई हैं लेकिन जमीनी तौर पर अब जा कर काम शुरू हुआ है। कोयला मंत्रालय के निर्देश पर सरकारी कंपनी ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) ने झारखंड के जामताड़ा जिले के कास्ता कोयला ब्लॉक में प्रायोगिक स्तर पर गैस बनाने की परियोजना की शुरूआत कर दी है। कोयला मंत्रालय ने यह भी कहा है कि आगे चल कर कोयला खदानों से उच्च गुणवत्ता के रसायनिक उत्पादों को बनाने की परियोजना भी भारत में शुरू की जानी है।
कोयला सेक्टर का होगा विविधीकरण
कोयला मंत्रालय ने सोमवार (24 जून, 2024) को बताया कि कोयला सेक्टर के विविधीकरण के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। इस प्रायोगिक परियोजना के जरिए कोयला खदानों से मिथेन, हाइड्रोडन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डायऑक्साइड निकाला जाएगा जिसका इस्तेमाल ईंधन, उर्वरक, विस्फोटक व दूसरे औद्योगिक क्षेत्रों में किया जाएगा। यह भी बताया गया है कि पहले चरण में अभी डाटा वगैरह जुटाया जाएगा और तब गैस निकालने का काम शुरू होगा।
देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए हो सकता है अहम
सरकार का कहना है कि देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए कोल गैसिफिकेशन काफी अहम भूमिका निभा सकता है। इस परियोजना में उन कोयला ब्लॉकों का इस्तेमाल हो जाएगा जहां से कई वजहों से कोयला निकालना मुश्किल हो जाता है। इससे पर्यावरण कारणों से जिन ब्लॉकों में कोयला नहीं निकाला जाता है, वहां से गैस निकाल कर औद्योगिक इस्तेमाल किया जा सकता है।साल 2016 में आई थी विस्तृत नीति
देश की कोयला खदानों से गैस निकालने को लेकर वर्ष 2016 में सरकार ने एक विस्तृत नीति की घोषणा की थी। इसको लेकर कंपनियों की तरफ से खास रुचि नहीं दिखाने के बाद वर्ष मई, 2020 में कंपनियों के लिए इसे और आकर्षक बनाने का ऐलान किया गया। इसका भी असर नहीं हुआ तो अगस्त, 2020 में नीति आयोग में एक समिति का गठन किया गया ताकि भारत में कोल गैसिफिकेशन को लेकर देशी-विदेशी कंपनियों को आकर्षित किया जा सके।
बाद में कोयला मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि वर्ष 2030 तक देश के कोयला खदानों से कोल गैसिफिकेशन के जरिए 10 करोड़ मीट्रिक टन गैस निकाली जा सकती है। इसके लिए चार लाख करोड़ रुपये के निवेश की बात भी कही गई।