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पहले बैंकों ने 'परिवार कल्याण' किया, अब कर रहे 'जन कल्याण' : सीतारमण

वर्ष 2014 में जब मोदी ने सरकार बनाई थी तब भारतीय बैंकों की स्थिति बहुत ही खराब थी। आंकड़े स्थिति में बड़े सुधार की गवाही दे रहे हैं। सीतारमण के मुताबिक कांग्रेस ने भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण के अलावा उनके विस्तार के लिए कुछ नहीं किया। इससे समाज के सिर्फ पढ़े-लिखे लोगों को ही फायदा हुआ। 2014 से पहले तक बैंकिंग सेवाएं मुख्य तौर पर शहरों में ही सीमित थी।

By Jagran News Edited By: Praveen Prasad Singh Updated: Fri, 31 May 2024 08:43 PM (IST)
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वित्त मंत्री ने पिछले 10 वर्षों में सरकारी बैंकिंग सेक्टर में बदले हालात का दिया ब्योरा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब जबकि आम चुनाव का अंतिम चरण शेष है तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी सरकार के पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान भारतीय बैंकों की स्थिति में हुए आमूलचूल परिवर्तन की तस्वीर देश के सामने रखी है। वित्त मंत्री ने पिछले दस वर्षों में भारतीय बैंकों को फंसे कर्जे की समस्या से निजात दिलाने, इनकी वित्तीय स्थिति के मजबूत होने, शुद्ध मुनाफा में तकरीबन चार गुणा की वृद्धि होने, ग्रामीण जनता को बैंग सुविधा से जोड़ने, बैंकों के जरिए आम जनता के हितों के मुताबिक सरकारी स्कीम लांच करने जैसी बातों को विस्तार से आंकड़े समेत पेश किया है। साथ ही कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया है।

'हमारी सरकार ने बैंकों को जन कल्याण के लिए काम में लगाया'

सीतारमण ने कहा है कि, “परिवारवादी पार्टियों के वर्चस्व वाली यूपीए सरकार बैंकों का इस्तेमाल 'परिवार कल्याण' के लिए करते थे, जबकि हमारी सरकार ने बैंकों को 'जन कल्याण' के लिए काम में लगाया।'' सीतारमण ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर बहुत ही बड़ा आलेख लिखा है। इसके पहले पीएम मोदी ने भी भारतीय बैंकों की स्थिति पर एक्स पर लिखा था।

वर्ष 2014 में बहुत खराब थी बैंकों की हालत

दरअसल, वर्ष 2014 में जब मोदी ने सरकार बनाई थी तब भारतीय बैंकों की स्थिति बहुत ही खराब थी। आंकड़े स्थिति में बड़े सुधार की गवाही दे रहे हैं। सीतारमण के मुताबिक कांग्रेस ने भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण के अलावा उनके विस्तार के लिए कुछ नहीं किया। इससे समाज के सिर्फ पढ़े-लिखे लोगों को ही फायदा हुआ।

वर्ष 2014 से पहले तक बैंकिंग सेवाएं मुख्य तौर पर शहरों में ही सीमित थी। आजादी के 68 वर्ष बीत जाने के बावजूद सिर्फ 68 फीसद आबादी के पास ही बैंकिंग सेवाएं थी। लेकिन मोदी सरकार ने जनधन योजना और मुद्रा योजना से बैंकिंग सेक्टर को आम जनता तक पहुंचाया। मुद्रा योजना के तहत 48 करोड़ लोगों को 28 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वितरित किया गया है। आज देश की हर जनता के पास पांच किलोमीटर के क्षेत्र में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध है।

वर्ष 2023-24 में सरकारी बैंकों को 1.41 लाख करोड़ का मुनाफा

वित्त मंत्री ने बताया है कि वर्ष 2023-24 में सरकारी बैंकों ने 1.41 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है जो वर्ष 2013-14 के 36,270 करोड़ रुपये के मुकाबले चार गुणा ज्यादा है। इन बैंकों ने 27,830 करोड़ रुपये का लाभांश दिया है। फंसे कर्जे (एनपीए) का स्तर अब घट कर सिर्फ 0.76 फीसद रह गया है। मार्च, 2015 में यह 3.92 फीसद था। अक्टूबर, 2018 में यह सबसे उच्चतम स्तर 7.97 फीसद रहा था।

रिकॉर्ड स्‍तर पर बैंकों ने दिया लोन

बैंकों की तरफ से वितरित कर्ज में विगत वर्ष 16 फीसदी की वृद्धि हुई है जो अभी तक का उच्चतम स्तर है। कृषि क्षेत्र के लिए वितरित कर्ज की राशि अब 21.55 लाख करोड़ रुपये हो गई है जो दस वर्ष पहले 8.45 लाख करोड़ रुपये था। वित्त मंत्री ने कहा है कि, “बैंकिंग सेक्टर के आधार पर ही आर्थिक पहिया आगे बढ़ता है। हम आगे भी बैंकिंग सेक्टर को लेकर निर्णायक फैसला करते रहेंगे ताकि वर्ष 2047 तक विकसित भारत का सपना सच हो सके।''